
मध्य प्रदेश में पिछले दिनों एक विधेयक पर वोटिंग के दौरान बीजेपी के दो विधायकों के कांग्रेस के पाले में जाने पर पार्टी आलाकमान नाराज है. इस पूरे मामले पर रिपोर्ट तो तलब की ही गई है, साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाया है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 24 जुलाई को विधानसभा में मत विभाजन के दौरान हुए घटनाक्रम पर सख्त नाराजगी जताते हुए रिपोर्ट तलब की है और वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाया है. वहीं, हाईकमान की पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से भी बात हुई है. पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा है कि सत्ताधारी कांग्रेस की ओर से जब भाजपा में तोड़फोड़ की कोशिश की जा रही थी, उस समय पार्टी संगठन को इस बात की भनक क्यों नहीं लग पाई.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को उन विधायकों से सीधे संवाद करने को कहा गया है जो कांग्रेस के संपर्क में हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि कुछ और विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं और आने वाले दिनों में कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं. दरअसल, भाजपा की चिंता इसलिए और बढ़ गई है, क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक संजय पाठक गुरुवार को मंत्रालय में नजर आए और चर्चा यह होने लगी कि पाठक की कमलनाथ से मुलाकात हुई है. हालांकि बाद में पाठक ने इसका खंडन किया. पूर्व भाजपा सांसद रघुनंदन शर्मा का तो यहां तक कहना है कि पार्टी संगठन के कुछ लोगों ने पार्टी पर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की और ऐसे लोगों को पार्टी में शामिल कर लिया, जिनका पार्टी की नीति-रीति और सिद्धांत से कोई लेना-देना नहीं था.
उनका कहना है कि आज जो हालात बने हैं, इसकी यही वजह है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा राज्य संगठन और विधायक दल में विधानसभा सत्र के दौरान नजर आई कमजोरी से भी हाईकमान नाराज है. सवाल उठ रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान 20 से ज्यादा विधायक नदारद क्यों रहे, कांग्रेस सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं है, तब मत विभाजन के दिन व्हिप क्यों नहीं जारी की गई. राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं, उसे चार निर्दलीय, दो बसपा के और एक सपा के विधायक का समर्थन हासिल है. विपक्षी भाजपा के 108 विधायक हैं और एक पद रिक्त है.
क्या है पूरा मामला:
राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर निशाना साधने वाली बीजेपी उस समय बैकफुट पर आ गई, जब सरकार ने दंड विधि संशोधन विधेयक पर मत विभाजन कराया. इस दौरान भाजपा के दो विधायकों- नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने विधेयक के पक्ष में वोट कर सबको चौंका दिया. इससे बाहर यह संदेश गया कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. (इनपुट-IANS)
क्या मध्य प्रदेश में पलटवार करेगी बीजेपी?
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