यह ख़बर 17 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

बिहार में बीजेपी का विश्वासघात दिवस, बंद का आयोजन

खास बातें

  • जेडीयू और बीजेपी अलग हो गए हैं लेकिन तोहमतों और आरोपों का सिलसिला थम नहीं रहा। सोमवार को भी नीतीश ने बीजेपी पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाया तो बीजेपी ने नीतीश को ज़िम्मेदार ठहराया।
पटना:

जेडीयू और बीजेपी अलग हो गए हैं लेकिन तोहमतों और आरोपों का सिलसिला थम नहीं रहा। सोमवार को भी नीतीश ने बीजेपी पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाया तो बीजेपी ने नीतीश को ज़िम्मेदार ठहराया। साथ ही बीजेपी मंगलवार को बिहार में विश्वासघात दिवस मनाएगी और इसके चलते बिहार बंद का आह्वान किया गया है।

इससे पहले, एनडीए से अलग होने के बाद बीजेपी पर निशाना साधते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पूर्व सहयोगी पर 'विश्वासघात' करने और पार्टी (बीजेपी) में वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उनका आशय संभवत: लालकृष्ण आडवाणी को हाशिए पर धकेलने से था।

मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित जनता दरबार के बाद पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने कहा, जो अपने वरिष्ठों के साथ विश्वासघात कर सकते हैं, उन्हें दूसरों पर अंगुली उठाने का अधिकार नहीं। नीतीश ने कहा, इस सब पर वे हमारे ऊपर धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं। धोखा उनकी ओर से दिया गया है। वे लोग अपने बुजुर्गों के साथ विश्वासघात करते हैं... वे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को भूल गए, जो उनके बुजुर्ग हैं। भारतीय संस्कृति में बुजुर्गों का सम्मान किया जाता है। यह कैसी संस्कृति है, जहां बुजुर्गों को दरकिनार किया जाता हो।

नीतीश ने कहा कि बीजेपी में अटल, आडवाणी का दौर खत्म हो चुका है और 'बाहरी तत्व' बिहार बीजेपी पर हावी होने लगे, जिसके चलते गठबंधन कायम रखना मुश्किल हो गया था। उन्होंने बीजेपी द्वारा उन पर विश्वासघात करने का आरोप लगाए जाने पर कहा कि यह बीजेपी की नाकामी है, जिसके चलते गठबंधन के साथी उसे छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में बीजेपी अपने बुजुर्गों का सम्मान करना भी भूल गई है। नीतीश ने सुशील मोदी के विश्वासघात के आरोप को जवाब देते हुए कहा कि अपने बुजुर्गों के साथ विश्वासघात करने वाले, हमसे विश्वासघात की बात न करें।

नीतीश ने कहा कि एनडीए से अलग होने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया, इस पर लंबा विचार-विमर्श किया गया और उचित समय पर यह फैसला लिया गया है। मैंने बीजेपी नेताओं को गठबंधन तोड़ने का रोडमैप तय करने के लिए बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए।

नीतीश ने कहा, इस विषय पर और इंतजार करना अपने आप को धोखा देना होता, क्योंकि बीजेपी का कोई भी केंद्रीय नेता इस बारे में आश्वासन देने की स्थिति में नहीं था और वे केवल टूट के निर्णय को टालने को कह रहे थे। उन्होंने कहा, एनडीए से हमारा अलग होना बीजेपी की विफलता है। आपने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि अपने पुराने सहयोगी ने आपको छोड़ दिया। गठबंधन मजबूरी में नहीं चलता है।

जेडीयू नेता ने कहा, अगर आप अपने सहयोगी के समक्ष कोई रास्ता नहीं छोड़ते... अगर कोई पार्टी सरकार (केंद्र में) बनाना चाहती है, तब उसी पार्टी की जिम्मेदारी है कि अगर उसके पास संख्याबल नहीं हो, तब वह अन्य दलों का समर्थन जुटाए। लेकिन यहां एक पुराने सहयोगी को अलग होने को मजबूर किया गया।

नीतीश ने कहा कि जब तक कोई 'बाहरी' हस्तक्षेप नहीं था, तब तक जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ठीक ढंग से चलता रहा। उन्होंने कहा कि बीजेपी में नए दौर की शुरुआत के बाद राज्य सरकार में शामिल पार्टी (बीजेपी) के नेता अपनी ही सरकार की उपलब्धियों के बारे में चर्चा करने में कठिनाई महसूस कर रहे थे। नीतीश ने बीजेपी के 11 मंत्रियों को बर्खास्त करने के निर्णय को भी उचित ठहराया और कहा कि वे उनसे सम्मानजनक ढंग से उनके सरकार से बाहर होने की रूपरेखा के बारे में बात करना चाहते थे, लेकिन जब वे कैबिनेट की बैठक में नहीं आए, तब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था।

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(इनपुट भाषा से भी)