फाइल फोटो : धौलपुर पैलेस
नई दिल्ली:
धौलपुर महल को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कांग्रेस का कहना है कि ये सरकारी संपत्ति है, जबकि बीजेपी का दावा है कि धौलपुर महल वसुंधरा राजे के बेटे और बीजेपी सांसद दुष्यंत सिंह की संपत्ति है।
पार्टी पूरी तरह इस मुद्दे पर वसुंधरा और उनके बेटे दुष्यंत के बचाव में खड़ी हुई है। पार्टी ने बचाव में कहा कि "कांग्रेस कोर्ट के फैसले की कॉपी को ठीक से पढ़े और समझे। यह महल दुष्यंत सिंह का है।" दुष्यंत सिंह झालवार-बारण सीट से भाजपा सांसद हैं।
हालांकि यह मामला अब भी समझ से परे है कि आख़िर धौलपुर महल की मिल्कियत किसकी है। कांग्रेस हर दिन नए-नए दस्तावेज़ पेश कर कांग्रेस बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रही है। कल भी उसने चार दस्तावेज पेश कर महल का मालिकाना हक राजस्थान सरकार के होने का दावा किया। पार्टी ने साफ कहा है कि जब तक वसुंधरा राजे इस्तीफा नहीं दे देतीं तब तक इस मामले का क्जोजर नहीं होगा और वह डिस्क्लोजर नहीं करेगी और लगातार दस्तावेज सामने लाकर मामले को उठाती रहेगी।
इससे पहले बुधवार को कांग्रेस ने चार नए दस्तावेज़ पेश कर राजे परिवार परिवार पर महल पर ग़ैरक़ानूनी क़ब्ज़े का आरोप लगाया। कांग्रेस की तरफ़ से पेश वर्ष 1949 के एक कागज़ात में धौलपुर महल को सरकारी सम्पति बताया गया है और महाराजा उदय भान सिंह के जीवित रहने तक ही ये महल उनके पास रहने की बात की गई है।
दूसरा दस्तावेज़ 17 मई 2007 का भरतपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के फ़ैसले की कॉपी थी, जिसमें लिखा गया है कि हेमंत सिंह और दुष्यंत सिंह के बीच हुआ समझौता चल संपत्ति को लेकर है, अचल सम्पति के लिए नहीं। जयराम रमेश कहते हैं कि इस काग़ज़ात के बाद तो कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं रह जाता।
सोमवार को बीजेपी ने पिता पुत्र के बीच समझौते का हवाला देकर धौलपुर महल पर दुष्यंत की मिल्कियत बताई थी। NHAI को ज़मीन देने की एवज़ में मुआवज़ा मिलने का हवाला भी दिया था। अब कांग्रेस आरोप लगा रही है कि NHAI से 2 करोड़ मुआवज़ा धोखाधड़ी का मामला है।
जयराम रमेश के मुताबिक़ 10 अप्रैल 2013 को सीबीआई में इस बाबत शिकायत दर्ज की गई थी। अब मोदी सरकार मामले की जांच आगे बढ़ाए।
पार्टी पूरी तरह इस मुद्दे पर वसुंधरा और उनके बेटे दुष्यंत के बचाव में खड़ी हुई है। पार्टी ने बचाव में कहा कि "कांग्रेस कोर्ट के फैसले की कॉपी को ठीक से पढ़े और समझे। यह महल दुष्यंत सिंह का है।" दुष्यंत सिंह झालवार-बारण सीट से भाजपा सांसद हैं।
हालांकि यह मामला अब भी समझ से परे है कि आख़िर धौलपुर महल की मिल्कियत किसकी है। कांग्रेस हर दिन नए-नए दस्तावेज़ पेश कर कांग्रेस बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रही है। कल भी उसने चार दस्तावेज पेश कर महल का मालिकाना हक राजस्थान सरकार के होने का दावा किया। पार्टी ने साफ कहा है कि जब तक वसुंधरा राजे इस्तीफा नहीं दे देतीं तब तक इस मामले का क्जोजर नहीं होगा और वह डिस्क्लोजर नहीं करेगी और लगातार दस्तावेज सामने लाकर मामले को उठाती रहेगी।
इससे पहले बुधवार को कांग्रेस ने चार नए दस्तावेज़ पेश कर राजे परिवार परिवार पर महल पर ग़ैरक़ानूनी क़ब्ज़े का आरोप लगाया। कांग्रेस की तरफ़ से पेश वर्ष 1949 के एक कागज़ात में धौलपुर महल को सरकारी सम्पति बताया गया है और महाराजा उदय भान सिंह के जीवित रहने तक ही ये महल उनके पास रहने की बात की गई है।
दूसरा दस्तावेज़ 17 मई 2007 का भरतपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के फ़ैसले की कॉपी थी, जिसमें लिखा गया है कि हेमंत सिंह और दुष्यंत सिंह के बीच हुआ समझौता चल संपत्ति को लेकर है, अचल सम्पति के लिए नहीं। जयराम रमेश कहते हैं कि इस काग़ज़ात के बाद तो कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं रह जाता।
सोमवार को बीजेपी ने पिता पुत्र के बीच समझौते का हवाला देकर धौलपुर महल पर दुष्यंत की मिल्कियत बताई थी। NHAI को ज़मीन देने की एवज़ में मुआवज़ा मिलने का हवाला भी दिया था। अब कांग्रेस आरोप लगा रही है कि NHAI से 2 करोड़ मुआवज़ा धोखाधड़ी का मामला है।
जयराम रमेश के मुताबिक़ 10 अप्रैल 2013 को सीबीआई में इस बाबत शिकायत दर्ज की गई थी। अब मोदी सरकार मामले की जांच आगे बढ़ाए।
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