बिसहाड़ा में दो मुस्लिम बहनों के निकाह में शामिल हुए हिंदू परिवार, दावत भी दी

बिसहाड़ा में दो मुस्लिम बहनों के निकाह में शामिल हुए हिंदू परिवार, दावत भी दी

बिसहड़ा गांव में हिंदू परिवारों द्वारा दी गई दावत का एक दृश्य।

नई दिल्ली:

एक मुस्लिम युवक अखलाक की हत्या के बाद बिसहाड़ा गांव देश भर में सुर्खियों में रहा। दो हफ्ते से पूरे गांव के लोग डरे-सहमे थे लेकिन रविवार को  यहां रौनक देखने लायक थी। यहां दो सगी बहनों रेशमा और जैतून के निकाह की गूंज रही। तनाव भरे माहौल में स्थानीय हिंदू परिवार दोनों बहनों के निकाह के लिए आगे आए। हिंदू परिवार न सिर्फ शादी में शरीक हुए बल्कि दावत का पूरा खर्चा भी उठाया।

गांव के निवासी एचके शर्मा ने दोनों बहनों की शादी की दावत का सारा व्यय वहन किया। शर्मा के मुताबिक यूं तो गांव में परंपरा रही है कि गांव के मुस्लिम परिवारों की शादी में हिंदू परिवार सहयोग करते आए हैं लेकिन इतनी बड़ी घटना के बाद गांव में बारात आने को तैयार नहीं थी। बड़ी मुश्किल से हमने लड़के वालों को विश्‍वास में लिया तब बारात गांव पहुंची और अब पूरे गांव के हिंदू परिवार शादी में अपने-अपने तरीके से सहयोग कर रहे हैं। बस यह शादी इसलिए अहम है क्योंकि यह शादी गांव में कराकर हमें यह साबित करना था कि हम अपने गांव के मुस्लिम परिवारों के साथ हैं। जो हुआ उसका हमें बेहद अफसोस है।  

विश्वास का जायका
गांव में दूल्हे मोमिन और नाज़िम और बारात की अच्छी खातिरदारी हुई। दावत को नाम दिया गया, विश्वास का ज़ायका। खाने खिलाने और किचन की जिम्मेदारी संभाल रहे हरिराम सिंह के मुताबिक उनके गांव में आपसी भाईचारे का इतिहास रहा है। यह पहली बार हुआ है कि हिंदू परिवारों के सहयोग से मुस्लिम परिवारों के लिए लजीज खाना तैयार किया गया है। दोनों समुदायों में भाईचारा रहे इसीलिए इसका नाम 'विश्‍वास का जायका' रखा गया है।

बिसहड़ा गांव में दो बहनों के निकाह में शरीक बाराती।

शादी से पहले डरे हुए थे दूल्हों के परिवार
हालांकि शादी से पहले दूल्हों के परिवार डरे हुए थे। वे शादी गांव से नहीं करना चाहते थे, लेकिन जब प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों ने उन्हें समझाया तो वे बड़ी मुश्किल से माने। इसके बाद गांव में हुए शानदार स्वागत ने उन्हें रिश्तों की एक नई डोर में बांध दिया। दोनों दूल्हों मोमिन और नाजिम ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि उन्हें कोई डर नहीं है और वे खुश हैं। उन्होंने मीडिया और प्रशासन का भी शुक्रिया अदा किया। नाजिम के चाचा  मुश्ताक अली ने बताया कि जब बाराती रास्ते में आ रहे थे तो उन्हें डर लग रहा था लेकिन गांव में उनका जो स्वागत हुआ उसे देखकर यही लगता है कि अखलाक की हत्या एक हादसा थी।

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आरोपी का परिवार भी शादी में शामिल
तनाव और गम के माहौल के बीच इस शादी ने बिसाहड़ा गांव और आसपास सद्भावना की एक मिसाल कायम की है। रेशमा और जैतून के पिता हकीमू ने कहा कि उन्हें पहले डर था कि बेटियों की शादी में कोई गड़बड़ न हो, लेकिन हिंदू परिवारों ने उन्हें इतना सहयोग दिया कि सब कुछ आसानी से निपट गया। शादी में अखलाक की हत्या के आरोपी युवक का परिवार भी शामिल हुआ। पुलिस की कड़ी सुरक्षा में हुए इस निकाह ने काफी हद तक नफरत की दीवार को गिरा दिया।