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दल-बदल से पहले हो चुनाव
अपनी किताब में जालान ने कही यह बात
किताब का नाम है- 'इंडिया : प्रायरिटीज फॉर द फ्यूचर'
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इसकी मुख्य वजह यह है कि दल जितना छोटा होगा, उसके किसी सदस्य के पास पार्टी तोड़कर राजनीतिक सत्ता हथियाने के लिए दूसरी बड़ी पार्टी से जुड़ने की उतनी ही अधिक संभावना होगी. उदाहरण के लिए कोई सदस्य राष्ट्रीय स्तर के किसी बड़े राजनीतिक दल से चुना जाता है तो पार्टी से अलग होने के लिए उसे एक निश्चित संख्या में पार्टी छोड़ने की इच्छा रखने वाले सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी.
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राज्यसभा में 2003 से 2009 के बीच नामित सदस्य रहे जालान ने कहा कि वहीं अगर कोई सदस्य पांच या दस सदस्यों वाले किसी छोटे दल का हिस्सा है, तो पार्टी तोड़कर दूसरी पार्टी से जुड़ने के लिए सिर्फ तीन या चार सदस्यों का एकमत होना पर्याप्त है, जो आसान भी है. जालान ने संसदीय कार्यवाही में भी सुधार को लेकर कई सुझाव दिए हैं और नियमों के सख्ती से पालन की वकालत की है. उनका सुझाव है कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के पास ढेरों शक्तियां होती हैं, लेकिन शायद ही कभी उनका उपयोग होता हो, जैसे किसी सदस्य को बर्खास्त करना या निलंबित करना.
इनपुट : भाषा
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