यह ख़बर 17 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मिड-डे मील : अब तक कुल 22 बच्चों की मौत, करीब 100 बीमार

खास बातें

  • मधुबनी में मिड-डे मील भोजन करने के बाद करीब 50 बच्चे बीमार पड़ गए, जिनमें से अधिकतर को इलाज के बाद घर भेज दिया गया। साथ ही गया में भी 20 बच्चे बीमार पड़ गए थे। गया में अभी तक एक बच्चे की मौत हो चुकी है।
पटना:

बिहार में छपरा के मशरक स्थित सरकारी स्कूल में मिड-डे मील खाने से 21 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 30 अन्य बीमार हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। 16 बच्चों की मंगलवार को छपरा के अस्पताल में मौत हो गई थी, जबकि आज पटना में इलाज के दौरान पांच और बच्चों की मौत हो गई। बीमार बच्चों में से कुछ की हालत गंभीर बताई जाती है। वहीं, मधुबनी जिले के एक अन्य स्कूल में आज मिड-डे मील खाने से सात बच्चे बीमार हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मरने वाले बच्चों में ज्यादातर की उम्र 10 साल से कम है। सैकड़ों गुस्साए प्रदर्शनकारी स्कूल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए और जमकर हंगामा किया। बच्चों के परिजनों का आरोप है कि गंभीर रूप से बीमार कई बच्चों की मौत लापरवाही और इलाज में देरी की वजह से हुई।

बिहार के मधुबनी जिले के विस्फी थानांतर्गत नूरचक गांव के नवटोलिया स्थित मध्य विद्यालय में बुधवार को विषाक्त मध्याह्न भोजन खाने के बाद करीब 50 छात्र बीमार पड़ गए। इसमें छिपकली गिर गई थी। विस्फी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एके प्रभात ने बताया कि बीमार बच्चों का इलाज जारी है और उनमें पांच की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जबकि बाकी बच्चे खतरे से बाहर हैं। साथ ही गया में भी 20 बच्चे बीमार पड़ गए थे। गया में अभी तक एक बच्चे की मौत हो चुकी है।

बिहार के शिक्षामंत्री पीके शाही ने कहा कि ऑर्गेनिक फास्फोरस की मिलावट का शक है। उनका कहना है कि बच्चों ने सब्जी की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भोजन में जहर मिला था।

शाही ने कहा कि स्कूल के प्रिंसीपल के पति की ही किराना की दुकान है जहां से सामान खरीदा गया था। प्रिंसीपल का पति एक राजनीतिक दल का सक्रिय कार्यकर्ता है। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम पर एक बड़े राजनीतिक दल पर साजिश का आरोप लगाया।

इस दुखद घटना को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है और राज्य में सत्तारूढ़ जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा है कि जिस तरह विपक्ष के लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वह काफी दुखद है और उन्हें (जेडीयू) लगता है कि यह उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए रचा गया एक षडयंत्र है।

बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह ने इस घटना के लिए नीतीश को दोषी बताते हुए उन्हें अक्षम मुख्यमंत्री करार दिया। उन्होंने कहा कि घटना की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की मांग की।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू का कहना है कि यह मामला जहरीले भोजन से जुड़ा लगता है, लेकिन वह फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिड-डे मील योजना से जुड़े अतिरिक्त सचिव बिहार पहुंच चुके हैं। राज्य के शिक्षामंत्री पीके शाही ने कहा है कि शुरुआती जांच से पता चला है कि भोजन में चावल और गेहूं की फसल पर कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले ऑर्गेनोफॉस्फेट के अंश मिले हैं। संभव है कि स्कूल में भोजन पकाने से इन्हें अच्छी तरह से धोया न गया हो।
वहीं, राज्य में सत्तारूढ़ जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव का कहना है कि खाना बनाने में नहीं, बल्कि जहां से राशन लाया गया, वहीं गड़बड़ी हुई है।

कुछ रिपोर्टों के मुताबिक सिर्फ वही बच्चे शिकार हुए हैं, जिन्होंने सोयाबीन खाया था। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सोयाबीन की सब्जी को गंदे और जहरीले तेल में पकाया गया था। फिलहाल इस मामले को लेकर स्कूल की हेडमिस्ट्रेस मीना देवी और अन्य शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

छपरा के डीएम का कहना है कि बच्चों के मिड-डे मील में जहरीला पदार्थ मिलाए जाने की आशंका है और भोजन के नमूने जांच के लिए भेज दिए गए हैं। बच्चों की मौत के बाद स्थानीय लोग काफी गुस्से में हैं। कई जगह लोगों ने सड़कें जाम कर दीं और जमकर तोड़फोड़ की। उधर, इस घटना को लेकर आरजेडी की तरफ से आज सारण बंद का भी आह्वान किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर दो-दो लाख रुपये देने का ऐलान किया गया है।

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(इनपुट भाषा से भी)