
बिहार की सियासत में एक कहावत है कि जो मगध पर राज करेगा, उसी के पास पटना में तख्त-ओ-ताज़ रहेगा. यह कहावत सटीक भी बैठती है. बिहार विधान सभा चुनावों (Bihar Assembly Elections) में जिस पार्टी की जीत मगध (गया प्रमंडल) के इलाकों में होती रही है, उसी की सरकारें बनती रही हैं. पहले कांग्रेस, बाद में जनता दल- राष्ट्रीय जनता दल और अब जेडीयू-बीजेपी की जीत इन इलाकों में होती रही है. नवादा जिले की गोविंदपुर विधान सभा सीट भी सीधे-सीधे सत्ता के साथ का परिचायक रही है. मौजूदा समय में यहां से कांग्रेस की पूर्णिमा यादव विधायक हैं. उन्होंने हाल ही में जेडीयू (Janta Dal-United) का दामन थामा है. उनके पति कौशल यादव पहले से ही जेडीयू विधायक रहे हैं.
बदल चुका सियासी समीकरण, पर हवा बदली?
2015 से पहले भी पूर्णिमा यादव जेडीयू में ही थीं लेकिन लालू-नीतीश गठजोड़ की वजह से उन्हें पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर गोविंदपुर से लड़वाया गया था, जबकि पति कौशल यादव को हिसुआ से लड़ाया गया था. पूर्णिमा जीतने में कामयाब रहीं लेकिन कौशल को हार का सामना करना पड़ा. बाद में कौशल यादव नवादा विधान सभा सीट पर हुए उपचुनाव में विजयी हुए. पांच साल बाद अब सियासी समीकरण बदल चुके हैं.
बिहार का 'मिनी मधेपुरा' कहलाता है गोविंदपुर!
गोविंदपुर विधान सभा इलाके में यादव मतदाताओं की बहुलता की वजह से इसे बिहार का 'मिनी मधेपुरा' कहा जाता है. सियासी आंकलन के मुताबिक यहां सबसे ज्यादा यादवों के करीब 70 हजार वोट हैं. उसके बाद मुस्लिमों के करीब 30 हजार वोट हैं. दलितों का भी करीब 70 हजार वोट इस इलाके में है. इनमें सबसे ज्यादा मांझी और राजवंशी के 25-25 हजार वोट हैं. अगड़ी जाति में भूमिहारों के करीब 20 हजार जबकि राजपूतों के करीब 8 हजार वोट इस इलाके में हैं.
चार दशक से एक ही परिवार का दबदबा
साल 1995 को छोड़ दें तो 1980 से लगातार पिछले चालीस साल से गोविंदपुर सीट पर कौशल यादव के परिवार का दबदबा रहा है. 1980 से 1990 तक लगातार 15 साल तक उनकी मां गायत्री देवी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर यहां से विधायक चुनी जाती रहीं. 1995 में जनता दल के प्रोफेसर केबी प्रसाद ने उन्हें हराया लेकिन साल 2000 में गायत्री देवी ने राजद में एंट्री लेकर प्रोफेसर को पटखनी दे दी. 2005 के चुनावों में कौशल यादव ने निर्दलीय रहते हुए अपनी ही मां और राजद उम्मीदवार गायत्री देवी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया. इसके बाद गायत्री देवी ने फिर चुनाव नहीं लड़ा. कौशल भी सत्ता के साथ कदम मिलाते हुए जेडीयू में शामिल हो गए.
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2010 में तीर के साथ हो लिए कौशल यादव
2010 में भी यहां से कौशल जीतने में कामयाब रहे. 2015 में सियासी समीकरण बदले तो नवादा के चर्चित व्हाइट हाउस की दूसरी सदस्य यानी कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव कांग्रेस के टिकट पर चुनी गईं. इस सीट पर कौशल के पिता युगल किशोर सिंह यादव भी 1969 में लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. दारोगा राय की तत्कालीन सरकार में वो मंत्री रह चुके हैं. गायत्री देवी भी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. इस तरह गोविंदपुर विधान सभा सीट पर इस परिवार का चार दशकों से दबदबा बना हुआ है.
यादव दंपति जता रहे MY समीकरण पर दावा
इस बार फिर इस सीट से पूर्णिमा यादव ताल ठोक रही हैं लेकिन चुनाव चिह्न हाथ की जगह तीर हो चुका है. उनके खिलाफ राजद से मोहम्मद कामरान मल्लिक को उतारने की तैयारी है. कौशल यादव के खास और दाहिना हाथ माने जाने वाले जेडीयू विधान पार्षद सलमान राग़ीब ने एनडीटीवी से कहा, "राजद का माय (मुस्लिम और यादव) समीकरण इस बार बिखर जाएगा और उसका करीब 70 फीसदी वोट पूर्णिमा यादव को मिलेगा." राग़ीब दावा करते हैं कि मुसलमान भी कौशल यादव और उनके कामकाज से प्रभावित होकर उनके परिवार को ही वोट देगा. कौशल नवादा विधान सभा सीट से जेडीयू उम्मीदवार हैं. इन दोनों सीटों पर पहले चरण में 28 अक्टूबर को वोटिंग होनी है. नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
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