पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार का फाइल फोटो...
पटना:
मनमोहन सिंह सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक समान शिकायत थी कि वो जब भी नेपाल जाने की इच्छा जाहिर करते सरकार उसे टाल देती, लेकिन अब नरेंद्र मोदी सरकार ने नीतीश कुमार को नेपाल जाने की अनुमति दे दी हैं। नीतीश पहली बार बुधवार को नेपाल के दो दिनों के दौरे पर पहुंचेंगे। नेपाली कांग्रेस के महाधिवेशन में नीतीश को आमंत्रण मिला और इस बार केंद्र ने उनकी यात्रा पर अपनी रज़ामंदी दे दी।
दरअसल, नेपाली कांग्रेस और मधेसी नेताओं से बिहार के नेताओं खासकर नीतीश और लालू यादव के संबंध मधुर रहे हैं। उसका एक कारण है कि जब नेपाल में 60 और 70 के दशक में लोकतंत्र के लिए आंदोलन चल रहा था तब अधिकांश नेपाली कांग्रेस के नेता पटना और वाराणसी में रहते थे और तब ये दोनों नेता छात्र आंदोलन में सक्रिय थे।
बाद के दिनों में जब लालू यादव पहले पहले साथ में थे, तब नेपाली कांग्रेस के कोई भी नेता अगर बिहार के दौरे पर आते थे तब उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाता था और नीतीश कुमार ने भी अपने रेल मंत्री के कार्यकाल में नेपाल सीमा की और जाने वाली रेल लाइनों के विस्तार के लिए सहमति दी और बाद में वीरगंज में ड्राई पोर्ट के लिए भी रक्सौल से रेलवे ट्रैक बनाने की मंजूरी दी।
इससे पहले नीतीश कुमार नवंबर 2014 में जनकपुर जाना चाहते थे और पिछले साल भूकंप के बाद भी नेपाल के तराई के इलाकों में जाकर लोग की स्थिति की जानकारी लेना चाहते थे, लेकिन भारत सरकार ने मंजूरी नहीं दी। उससे पहले नेपाल के भूतपूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार में जाने की इच्छा जताने पर भी जाने की अनुमति नहीं मिली थी और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली नेपाल यात्रा के दौरान नेपाल में सप्तकोशी नदी में डैम टूटने के बाद भी वो उस इलाके में जाना चाहते थे तब भी भारत सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे।
दरअसल, नेपाली कांग्रेस और मधेसी नेताओं से बिहार के नेताओं खासकर नीतीश और लालू यादव के संबंध मधुर रहे हैं। उसका एक कारण है कि जब नेपाल में 60 और 70 के दशक में लोकतंत्र के लिए आंदोलन चल रहा था तब अधिकांश नेपाली कांग्रेस के नेता पटना और वाराणसी में रहते थे और तब ये दोनों नेता छात्र आंदोलन में सक्रिय थे।
बाद के दिनों में जब लालू यादव पहले पहले साथ में थे, तब नेपाली कांग्रेस के कोई भी नेता अगर बिहार के दौरे पर आते थे तब उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाता था और नीतीश कुमार ने भी अपने रेल मंत्री के कार्यकाल में नेपाल सीमा की और जाने वाली रेल लाइनों के विस्तार के लिए सहमति दी और बाद में वीरगंज में ड्राई पोर्ट के लिए भी रक्सौल से रेलवे ट्रैक बनाने की मंजूरी दी।
इससे पहले नीतीश कुमार नवंबर 2014 में जनकपुर जाना चाहते थे और पिछले साल भूकंप के बाद भी नेपाल के तराई के इलाकों में जाकर लोग की स्थिति की जानकारी लेना चाहते थे, लेकिन भारत सरकार ने मंजूरी नहीं दी। उससे पहले नेपाल के भूतपूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार में जाने की इच्छा जताने पर भी जाने की अनुमति नहीं मिली थी और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली नेपाल यात्रा के दौरान नेपाल में सप्तकोशी नदी में डैम टूटने के बाद भी वो उस इलाके में जाना चाहते थे तब भी भारत सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे।
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