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This Article is From Nov 07, 2020

क्या तेजस्वी यादव ने खींच दी नरेंद्र मोदी और नीतीश के आगे लंबी लकीर? या बाकी है अग्निपरीक्षा?

Bihar Assembly Poll 2020: अगर तेजस्वी की रैलियों में उमड़ी भीड़, युवाओं का समर्थन, 10 लाख नौकरियों का वादा और चुनावी जातीय कार्ड ने रंग दिखाया तो उनके लिए एक अन्ने मार्ग (सीएम हाउस) का रास्ता प्रशस्त हो सकता है लेकिन अगर चिराग और पप्पू यादव या उपेंद्र कुशवाहा के गठबंधन ने चुनाव त्रिकोणात्मक किया और उसके नतीजे त्रिशंकु हुए तब तेजस्वी की असल अग्निपरीक्षा होगी.

क्या तेजस्वी यादव ने खींच दी नरेंद्र मोदी और नीतीश के आगे लंबी लकीर? या बाकी है अग्निपरीक्षा?
Bihar Election 2020: विपक्षी महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार और नेता विपक्ष तेजस्वी यादव (बीच में), पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने खूब चुनाव रैलियां कीं.
नई दिल्ली:

Bihar Assembly Poll 2020: तीसरे और आखिरी चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर शनिवार को मतदान के साथ ही बिहार विधान सभा चुनाव संपन्न हो गए. अब 10 नवंबर को आने वाले नतीजों का इंतजार है. एग्जिट पोल में तेजस्वी नीत महागठबंधन सबसे बड़े गठबंधन के तौर पर उभरता दिख रहा है लेकिन असली खेल 10 नवंबर को पता चलेगा, तब तक राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भविष्य ईवीएम में कैद हो गया कि वो चौथी पारी खेल पाएंगे या  नहीं? महागठबंधन की अगुवाई कर रहे और राजद नेता तेजस्वी यादव के भविष्य की दिशा और दशा भी ईवीएम में कैद है. चिराग पासवान के एकला चलो दांव के बाद उनकी सियासी पकड़ कमजोर होती है या मजबूत, इस पर से भी 10 नवंबर को तब पर्दा उठेगा, जब चुनाव के नतीजे आएंगे.

इस बीच, महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और राज्य के बड़े नेता लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने चुनावों में न केवल युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाई और पूरे चुनाव आकर्षण का केंद्र बने रहे बल्कि उन्होंने विपक्षी स्टार प्रचारकों- आकर्षक और दमदार छवि वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विकासपुरुष की छवि गढ़ने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार- को विकास के मुद्दों से हटाकर व्यक्तिगत आरोपों का तीर चलाने और कीड़ उछालने पर मजबूर कर दिया.

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तेजस्वी की चुनावी रैलियों में उमड़ती भीड़ और राज्य के युवाओं में बेरोजगारी पर उपजा नीतीश सरकार के खिलाफ असंतोष देखकर ही चुनाव के पहले चरण के दिन अपनी चुनावी सभा में पीएम मोदी ने तेजस्वी को 'जंगलराज का युवराज' कह डाला. पीएम मोदी ने लालू-राबड़ी शासनकाल को जंगलराज कहकर मतदाताओं को एक तरह से तेजस्वी के खिलाफ भड़काने की कोशिश की. एक तरह से कहें तो पीएम ने तेजस्वी के सामने अपने विकास रूपी हथियार का समर्पण कर दिया.

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सीएम नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी के 10 लाख नौकरियों के वादे को उलूल-जुलूल करार दिया लेकिन उनके गठबंधन की सहयोगी पार्टी बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में तेजस्वी की काट के तौर पर 19 लाख रोजगार की बात कही. उससे पहले राज्य के डिप्टी सीएम सुशील मोदी नीतीश के सुर में सुर मिलाकर पूछ रहे थे कि पैसा कहां से आएगा? लेकिन बीजेपी ने जल्द ही इस पर अपना स्टैंड बदल लिया और रोजगार का वादा करने वाले घोषणा पत्र की लॉन्चिंग के लिए सीधे देश की खजाना मंत्री को उतार दिया.

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चुनाव की सुगबुगाहट होने से लेकर पहले चरण के मतदान के एक-दो दिन पहले तक भाजपा के नेतागण और खुद नीतीश कुमार तेजस्वी को 31 साल का नौसिखिया और अनुभवहीन नेता करार दे रहे थे लेकिन जैसे ही ईवीएम का बटन दबाने की तारीख नजदीक आई, सभी विपक्षी नेताओं को अपनी राजनीतिक रणनीति में परिवर्तन करना पड़ा. जब तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की जोड़ी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली तब पीएम मोदी ने व्यंग्य कसा कि जैसे यूपी में दो युवराजों का बुरा हाल हुआ, वैसा ही बिहार में होगा. शायद पीएम की बात का रंग मतदाताओं पर न चढ़ा हो, इसलिए पीएम मोदी को अंतिम चुनावी रैलियों में हिन्दूवादी एजेंडे को आत्मसाथ करना पड़ा और सहरसा की रैली में जयश्री राम और भारत माता की जयकारे लगवाए.

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बीजेपी ने आखिरी दौर में ध्रुवीकरण के लिए योगी आदित्यनाथ को भी उतारा, जिन्होंने राम मंदिर निर्माण का श्रेय पीएम मोदी को देकर हिन्दू अस्मिता को जगाने की कोशिश की. साथ ही नागरिकता संशोधन कानून पर बयान देकर हिन्दू वोटरों को लुभाने की कोशिश की.  सीएम नीतीश कुमार को भी पूर्णिया के धमदाहा में अपनी अंतिम चुनावी सभा में इमोशनल कार्ड फेंकना पड़ा और उन्होंने इसे अपने जीवन का अंतिम चुनाव करार दिया.

अगर तेजस्वी की रैलियों में उमड़ी भीड़, युवाओं का समर्थन, 10 लाख नौकरियों का वादा और चुनावी जातीय कार्ड ने रंग दिखाया तो उनके लिए एक अन्ने मार्ग (सीएम हाउस) का रास्ता प्रशस्त हो सकता है लेकिन अगर चिराग और पप्पू यादव या उपेंद्र कुशवाहा के गठबंधन ने चुनाव त्रिकोणात्मक किया और उसके नतीजे त्रिशंकु हुए तब तेजस्वी को असल अग्निपरीक्षा देनी होगी.

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