स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन से एक दिन पहले उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से विभूषित किए जाने की घोषणा की गई है।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति को पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को 'भारत रत्न' से सम्मानित कर खुशी हो रही है। संयोगवश वाजपेयी और मालवीय, दोनों का ही जन्म 25 दिसंबर को हुआ था। मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को इलाहाबाद में और वाजपेयी का जन्म 1924 को ग्वालियर में हुआ था। सरकार ने उनके जन्मदिवस को 'सुशासन दिवस' घोषित किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की घोषणा पर खुशी जताई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पंडित मदन मोहन मालवीय और श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया जाना बेहद खुशी की बात है । इन महान विभूतियों को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाना राष्ट्र सेवा में उनके योगदान को उचित मान्यता है। उन्होंने कहा, अटलजी हर किसी के प्रिय हैं। एक पथप्रदर्शक, एक प्रेरणा और दिग्गजों के बीच दिग्गज हैं। भारत के प्रति उनका योगदान अतुलनीय है। मोदी ने कहा, पंडित मदन मोहन मालवीय को एक असाधारण विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लोगों के बीच में राष्ट्रचेतना की ज्योति प्रज्जवलित की।
मालवीय ने दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी और वह दक्षिणपंथी हिन्दू महासभा के पहले नेताओं में से एक थे। स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त वह एक महान शिक्षाविद थे।
उन्होंने 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। भारत की आजादी के एक साल पहले उनका निधन हो गया।
वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार केंद्र में 13 दिन की सरकार बनाई थी। इसके बाद 1998-1999 और 1999-2004 में भी वाजपेयी भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग अथवा एनडीए) सरकार के प्रधानमंत्री रहे। उन्हें यह सम्मान पार्टी से ऊपर उठ कर विभिन्न नेताओं और जनता की मांग को देखते हुए दिया गया है।
90-वर्षीय वाजपेयी ने वर्ष 1980 में भारतीय जनसंघ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप में तब्दील कर दिया था और वह गैर-कांग्रेसी पार्टी के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। वह 1957 से 2009 के बीच 10 बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।
वाजपेयी को मोरारजी देसाई सरकार में विदेशमंत्री के रूप में काफी प्रसिद्धि मिली थी, जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण दिया था।
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