कृषि कानूनों को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. सड़क से संसद तक किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.भारी सुरक्षा के बीच किसान जंतर-मंतर पर अपनी संसद लगाकर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले पर आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने कहा कि पिछले तीन दिनों से संसद नहीं चल रही. रोज मैं कार्य स्थगित नोटिस देता हूं, लेकिन स्पीकर साहब हमारे नोटिस को इज्जत नही देते तो हंगामा चल रहा है. सरकार किसानों की मांगों के लिए बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है. किसान यहां पिकनिक मनाने नहीं आए हैं. प्रदर्शन के दौरान हमारे किसानों ने जानें गंवा दी, उस पर भी पीएम ने दुख नहीं जताया. ये कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारेंट हैं,ये तो वापस लेने ही होंगे. इस बार 29 बिल लाये जा रहे हैं, जिसमे इलेक्ट्रिसिटी बिल लाया जा रहा है इसके बाद बिजली भी राज्यों का नहीं, केंद्र का हक होगा. इससे ये नुकसान होगा कि पंजाब सरकार जो किसानों को सब्सिडी देती वह बन्द हो जाएगी क्योंकि स्टेट्स को बिजली केंद्र से मांगनी पड़ेगी. सरकार ये सब इसलिए कर रही है क्योंकि किसान परेशान हो जाएं और अपनी जमीन उद्योगपतियों को दे दें.
इस मामले पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हमने किसानों से नए कृषि क़ानूनों के संदर्भ में बात की है. किसानों को कृषि क़ानूनों के जिस भी प्रावधान मे आपत्ति हैं वे हमें बताए, सरकार आज भी खुले मन से किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार है.
वहीं शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि यह सरकार किसान विरोधी है. किसान पिछले 8 महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार कहती है कि किसान हमसे बात करें लेकिन क़ानून वापस नहीं होंगे. जब आप ने कृषि क़ानून वापस नहीं लेने है तो किसान आपसे क्या बात करेंगे. बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी नए कृषि क़ानूनों को रद्द किए जाने के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
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