सोशल मीडिया वेबसाइटों के चैट रूम, निजी मैसेज बॉक्स और वॉल पर चौबीसों घंटे नज़र रखने के लिए बेंगलुरू पुलिस ने सोशल मीडिया लैब तैयार करने का फैसला किया है, जो दो माह के भीतर काम करना शुरू कर देगी।
बेंगलुरू सिटी पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (विधि-व्यवस्था) आलोक कुमार ने बताया कि हाल में ऐसा कई बार हुआ है, जब सोशल मीडिया के जरिये अफवाहें फैलाकर लोगों में दहशत पैदा करने की कोशिश की गई, इसलिए मौजूदा हालात में साइबर पेट्रोलिंग आज की ज़रूरत है।
पुलिस का सोशल मीडिया लैब न सिर्फ चैट रूमों पर नज़र रखेगा, बल्कि मैसेज बॉक्सों और वॉल्स भी पुलिस की निगाहों मे होंगे। यह पुलिस का एक अलग सेल होगा, जो डीसीपी स्तर के अधिकारी की देखरेख में काम करेगा। शुरुआत में साइबर एक्सपर्ट कॉन्ट्रैक्ट पर रखे जाएंगे, और बाद में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पुलिस डिपार्टमेंट के लोग इसकी निगरानी करेंगे।
हालांकि इसमें भी पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा इंटरनेट के जरिये होने वाली वीडियो चैट की निगरानी करना, क्योंकि इसके लिए ऐसी सुविधा प्रदान करने वाली कंपनियों से अनुबंध करना होगा। दरअसल, आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का प्रचार-प्रसार करने के लिए 'शामीविटनेस' के नाम से ट्विटर एकाउंट चलाने वाला हैंडलर मेहदी मसरूर बिस्वास बेंगलुरू से ही नेटवर्क चलाता रहा था, जिसकी खुफिया एजेंसियों और पुलिस को भनक भी नहीं लगी, और ब्रिटिश मीडिया में खबर आने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था।
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