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This Article is From May 24, 2015

कर्नाटक : लॉटरी रैकेट के सरगना से साठगांठ के आरोप में बेंगलुरु पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त निलंबित

कर्नाटक : लॉटरी रैकेट के सरगना से साठगांठ के आरोप में बेंगलुरु पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त निलंबित
बेंगलुरु पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (कानून व्यवस्था) आलोक कुमार
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने शनिवार देर शाम बेंगलुरु पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (कानून व्यवस्था) आलोक कुमार को निलंबित कर दिया। 1994 बैच के इस आईपीएस अधिकारी की छवि एक दबंग पुलिस अधिकारी की रही है। उनको निलंबित करने के आदेश पत्र में उन पर तीन आरोप लगाए गए हैं।

राज्य में लॉटरी पर प्रतिबंध के बावजूद इस पर काबू नहीं पाया जा सका। पूरे राज्य में इस रैकेट का सरगना पारी राजन ऊर्फ राजन पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। आलोक पर आरोप है कि जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने गई, तो उन्होंने सब-इंस्पेक्टर प्रकाश को फोन कर उस पर नरमी बरतने को कहा। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि वह उसे जानते हैं और उसके साथ किसी तरह की बदसलूकी न की जाए।

इसके ठीक दो दिनों के बाद फरार राजन की तलाश में जब सब-इंस्पेक्टर प्रकाश एक बार फिर निकले, तो कुमार ने कथित तौर पर उन्हें निर्देश दिया कि उसे कहीं तलाशने की ज़रूरत नहीं है, वह खुद ही कोलार गोल्ड फील्ड (राजन का निवास स्थान) आ जाएगा।

प्रकाश ने ये बाते सीआईडी को जांच के दौरान बताई। उसी आधार पर आलोक कुमार के खिलाफ कारवाई का खाका तैयार किया गया। इसके अलावा सीआईडी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तारी के बाद राजन ने सीआईडी को बताया की जब कभी भी उसे परेशानी होती तो वह आलोक कुमार की मदद लेता।

सूत्रों के मुताबिक, मामले की जांच में यह भी पता चला है कि हाल ही में आलोक कुमार तिरुपति जाने के दौरान कोलार में राजन के मेहमान के तोर पर रहे थे।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मुताबिक, आईपीएस अधिकारियों का नाम लॉटरी रैकेट से जुड़ने की वजह से उन्होंने इसकी जांच सीआईडी को सौंपी थी। कहा जा रहा है की तीन रिटायर्ड डीजीपी और तक़रीबन आधे दर्जन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम अवैध लॉटरी रैकेट को संरक्षण देने के सिलसिले में आ रहा है, हालांकि अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है।

साल 2006 में कर्नाटक सरकार ने लॉटरी पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 2012 के बाद से अवैध तरीके से यह पूरे राज्य में फल फूल रहा था। वहीं जानकारों के मुताबिक, मौजूदा डीजीपी ओम प्रकाश और आलोक कुमार के बीच अवैध लॉटरी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।

जानकारों के मुताबिक, सिस्टम के हिसाब से चलने वाले अधिकारियों और सिस्टम की परवाह नहीं करने वाले अधिकारियों के खेमों के बीच का टकराव भी इस कारवाई की वजह है। यहां ऐसा मानने वालों की भी कमी नहीं है।

अपने निलम्बन से एक दिन पहले आलोक कुमार ने एक अपना पक्ष रखते हुए whatsapp पर एक संदेश भेजा था। इसमें उन्होंने सफाई देते हुए लिखा, ''मेरे बारे में अफवाह फैलाई जा रही है कि मैं अवैध लॉटरी के धंधे से जुड़ा हुआ हूं। मैं राजन को अपने एक शुभचिंतक के तोर पर जानता हूं। मुझे बिलकुल पता नहीं की उस का लॉटरी के अवैध धंधे से कुछ भी लेना देना है। मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं।'

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