विज्ञापन
This Article is From Jan 04, 2022

पीठ के सदस्य अपने खिलाफ प्रेरित हमलों से खुद का बचाव नहीं कर सकते : CJI

सुभाष रेड्डी के विदाई कार्यक्रम में सीजेआई ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की तथा सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति करूणा एवं चेतना प्रदर्शित की.

पीठ के सदस्य अपने खिलाफ प्रेरित हमलों से खुद का बचाव नहीं कर सकते : CJI
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा न्यायमूर्ति रेड्डी के लिए डिजिटल माध्यम से विदाई कार्यक्रम आयोजित किया
नई दिल्ली:

भारत के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण ने मंगलवार को कहा कि पीठ में होने के दौरान कोई न्यायाधीश अपने खिलाफ ‘प्रेरित हमलों' से खुद का बचाव नहीं कर सकते हैं, जबकि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जरूरत पड़ने पर ऐसा कर सकते हैं. प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय में तीन साल से अधिक समय तक सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी के विदाई कार्यक्रम में यह कहा. इससे पहले, दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की तथा सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति करूणा एवं चेतना प्रदर्शित की.

समाचारों के साथ विचारों को मिलाना ‘खतरनाक कॉकटेल': चीफ जस्टिस

वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा न्यायमूर्ति रेड्डी के लिए डिजिटल माध्यम से आयोजित विदाई कार्यक्रम में न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि सेवानिवृत्ति ठीक ‘‘स्वतंत्रता वापस पाने'' की तरह है, खासतौर पर एक न्यायाधीश के लिए, क्योंकि वह तब सभी पाबंदियों से मुक्त होते हैं जो पद पर रहने के दौरान होती है और वह सभी मुद्दों पर अपने विचार स्वतंत्र रूप से तथा बेबाक प्रकट कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘पीठ में रहने के दौरान, कोई न्यायाधीश प्रेरित हमलों के खिलाफ अपना बचाव नहीं कर सकता. जबकि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जरूरत पड़ने पर खुद का बचाव करने के लिए स्वतंत्र होता है. मैं आश्वत हूं कि रेड्डी भाई नयी स्वतंत्रता का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करेंगे. ''

न्यायमूर्ति रेड्डी दो नवंबर 2018 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गए थे. वह तेलंगाना से उच्चतम न्यायालय में नियुक्त होने वाले प्रथम न्यायाधीश थे. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या घट कर 32 रह जाएगी, जबकि कुल मंजूर पदों की संख्या 34 है.

न्यायमूर्ति रेड्डी, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली के साथ दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई उनकी (न्यायमूर्ति रेड्डी की) सराहना करते हुए भाव विभोर हो गए.

सीजेआई ने कहा कि 30 साल साथ रहने के दौरान मुझे उनका मजबूत सहयोग और मित्र भाव मिला. मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ शुभकामनाएं देता हूं. न्यायमूर्ति रेड्डी तेलंगाना राज्य का गठन होने के बाद वहां से उच्चतम न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश हैं. न्यायमूर्ति रेड्डी भी उनकी तरह ही कृषक परिवार से हैं और एक कानूनी पेशेवर के रूप में उन्होंने अपने सफर में कई उपलब्धियां हासिल कीं.

सरकार को हर स्कूल, कॉलेज में लाइब्रेरी व खेल का मैदान सुनिश्चित करने की जरूरत : चीफ जस्टिस

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘विभिन्न उच्च न्यायालयों में 20 साल तक न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सदा ही लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कानून के कई संवेदनशील प्रश्नों का समाधान किया और 100 से अधिक फैसले लिखे. मैंने भी उनके साथ पीठ साझा की और उनके विचारों से लाभान्वित हुआ.''

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति अपनी करूणा और चेतना को लेकर जाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि निवर्तमान न्यायाधीश शीर्ष न्यायालय के प्रशासनिक कार्य के प्रति अपने समर्पण को लेकर याद रखे जाएंगे. सीजेआई ने कहा, ‘‘उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक कानून में है.''

इस अवसर पर अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल, सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह सहित अन्य ने भी न्यायमूर्ति रेड्डी के योगदान का उल्लेख किया.

बिहार के शराबबंदी कानून के अमल पर CJI ने उठाया सवाल, जानिए क्या कहा

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com