आधार बिल : सरकार को अदालत में चुनौती देंगे वाम दल

आधार बिल : सरकार को अदालत में चुनौती देंगे वाम दल

सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

संसद में सरकार ने जिस तरह आधार बिल पास कराया, उसे वामपंथी अब अदालत में चुनौती देने जा रहे हैं। उनकी कोशिश कुछ और दलों को भी साथ लेने की है। उनका कहना है कि सिर्फ स्पीकर के मान लेने से कोई बिल मनी बिल नहीं हो जाता।

पहले राज्यसभा में संशोधन और फिर फौरन लोकसभा में संशोधन खारिज। आधार बिल पर इस हड़बड़ी से नाराज विपक्ष अब सवाल उठा रहा है कि इसे मनी बिल कैसे माना जा सकता है? इस मसले पर लेफ्ट फ्रंट अदालत जाने की तैयारी में है।

मनी बिल है या नहीं, फैसला कानून से हो
गुरुवार को सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, "हमारी राय में कोई बिल मनी बिल है या नहीं यह फैसला स्पीकर नहीं कानून के प्रावधानों के मुताबिक ही होना चाहिए। हम इस मसले को अब न्यायपालिका के सामने रखेंगे। हम उन लोगों से भी बात करेंगे जिनकी राय हमसे मिलती जुलती है।"  भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार किसी आर्थिक बिल पर राज्यसभा में संशोधन पास हुए। अगर यह मनी बिल नहीं होता तो इसे फिर से पास कराना पड़ता। अब इसी मुद्दे पर लेफ्ट समर्थन जुटा रहा है।

जेडीयू का समर्थन मिलने के आसार
सीपीएम को इस मुद्दे पर जेडी-यू का समर्थन मिलता दिख रहा है। जेडी-यू के नेता मानते हैं कि ऐसे वक्त पर जब सुप्रीम कोर्ट आधार को अनिवार्य बनाने के पक्ष में नहीं है, आधार बिल को लागू करने से न्यायपालिका और विधायिका के बीच टकराव की स्थिति खड़ी हो सकती है। जेडी-यू के प्रधान महासचिव,  केसी त्यागी ने एनडीटीवी से कहा, " हम इस मामले को कोर्ट ले जाने में सीपीएम का साथ देंगे। आधार बिल को लेकर हमारी चिंताएं एक जैसी हैं।"

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कांग्रेस वाम पंथियों के साथ नहीं
हालांकि कांग्रेस इस प्रस्ताव पर लेफ्ट के साथ नहीं है। हालांकि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "आधार बिल हमारा ही बिल था। हम आधार बिल के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हमारे संशोधनों को सरकार अगर मान लेती तो अच्छा होता। सरकार 'गिव एंड टेक' में, लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती है।" जिस बिल को लोकसभा पास कर चुकी है, अगर वह अदालत पहुंचता है तो फिर देखना होगा कि यह जंग अब आगे क्या शक्ल लेती है।