पंजाब विधानसभा के लिए 1995 (उप-चुनाव), 1997, 2002, 2007 में गिद्दड़बाहा (Gidderbaha) से जीत दर्ज करने वाले पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल (Manpreet Singh Badal) किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. पंजाब की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले बादल इस बार पंजाब विधानसभा चुनाव में बठिंडा शहरी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
2017 विधानसभा चुनाव में बठिंडा (शहरी) (Bathinda Urban) सीट जीतने के बाद बादल को राज्य का वित्त मंत्री बनाया गया. इससे पहले भी 2007 से 2010 तक बादल ने पंजाब सरकार में वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया. बादल पंजाब विधानसभा (Punjab Vidhan Sabha Chunav 2022) की लोक लेखा और पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष बने रहे. इतना ही नहीं वह सीनेट पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के सदस्य और सिंडिकेट पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के सदस्य भी रह चुके हैं.
मनप्रीत सिंह बादल 1995 से 2012 तक अकाली दल के विधायक थे. आपको बता दें कि मनप्रीत सिंह बादल, प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के बेटे हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 2010 में केंद्र सरकार के कर्ज माफी के फैसले पर अपनी पार्टी से अलग राय रखने के कारण बादल को वित्त मंत्री के पद से हटा दिया गया था. बाद में शिरोमणि अकाली दल से अक्टूबर में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
पार्टी से निकाले जाने के बाद मनप्रीत सिंह बादल ने पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब (पीपीपी) नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई. चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए. हार का सिलसिला साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भी चलता रहा. इस चुनाव में वह सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर के खिलाफ चुनाव लड़ते दिखे. अंत में उनकी पार्टी ने जनवरी में कांग्रेस में विलय कर लिया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी का विलय करने के बाद, उन्हें बठिंडा शहरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ने टिकट दिया. उन्होंने मार्च 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रतिद्वंद्वी को 18,480 मतों से हराकर सीट जीती. शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे.
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