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This Article is From Sep 29, 2017

बैंकों के लिए जी का जंजाल बना डिजिटल भुगतान, 3,800 करोड़ की चपत का अनुमान

डिजीटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये पीओएस मशीनों के जरिये भुगतान करने पर जोर देने से बैंकों को सालाना 3,800 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.

बैंकों के लिए जी का जंजाल बना डिजिटल भुगतान, 3,800 करोड़ की चपत का अनुमान
पिछले साल नोटबंदी के बाद सरकार ने डिजिटल भुगतान को तेजी से बढ़ावा दिया है
मुंबई: आर्थिक मोर्चों पर अपनों के ही वार झेल रही सरकार के लिए यह ख़बर जले पर नमक छिड़कने के सामान साबित हो सकती है. जहां पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने देश की अर्थव्यवस्था के ढेर होने के लिए मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं नोटबंदी के बाद से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने से बैंकों को भी मोटा नुकसान हो रहा है.

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सरकार द्वारा डिजीटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये पीओएस मशीनों के जरिये भुगतान करने पर जोर देने से बैंकों को सालाना 3,800 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. एक रिपोर्ट के जरिये इस संबंध में चेताया गया है. 

पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के ऐलान के बाद मोदी सरकार ने ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा देने के लिये पीओएस मशीनों को स्थापित करने पर जोर दिया था. इसके बाद बैंकों ने अपने पीओएस टर्मिनलों की संख्या दोगुनी से ज्यादा कर दी थी. नोटबंदी के बाद मार्च, 2016 में पीओएस टर्मिनलों की संख्या 13.8 लाख से बढ़कर जुलाई 2017 में 28.4 लाख हो गयी. इस दौरान बैंकों ने एक दिन में औसतन 5,000 पीओएस मशीनें लगाईं. 

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इसका नतीजा यह रहा कि पीओएस मशीनों से डेबिट और क्रेडिट कार्ड लेनदेन का आंकड़ा अक्टूबर 2016 में 51,900 करोड़ रुपये से बढ़कर जुलाई 2017 में 68,500 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. दिसंबर 2016 में यह आंकड़ा 89,200 करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया था. एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अनुमान है कि दूसरों के जरिये होने वाले लेनदेन (आफ-अस), पीओएस मशीन पर कार्ड से भुगतान करने से 4,700 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान हुआ है.

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हालांकि, सामान लेनदेन (ऑन-अस लेनदेन) से केवल 900 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है. इस लिहाज से बैंकिंग उद्योग को करीब 3,800 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान पहुंचा है. कार्ड भुगतान उद्योग चार पक्षीय मॉडल- जारीकर्ता बैंक, अधिग्रहण बैंक, व्यापारी, ग्राहक पर आधारित होता है. पीओएस से लेनदेन करने पर जब कार्ड जारी करने वाला बैंक और पीओएस स्थापित करने वाला बैंक सामान होता है, जो उसे ऑन-अस लेनदेन कहा जाता है, वहीं इसके विपरीत जब दोनों बैंक भिन्न होते हैं तो उसे ऑफ-अस लेनदेन कहा जाता है.

(इनपुट भाषा से)

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