खराब वेंटिलेटर को बदलना होगा, मरीजों पर प्रयोग की इजाजत नहीं दे सकते : हाईकोर्ट

उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति आरवी गुगे और न्यायमूर्ति बीयू देबद्वार ने यह टिप्पणी कोविड-19 महामारी से जुड़े विभिन्न मामलों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की.

खराब वेंटिलेटर को बदलना होगा, मरीजों पर प्रयोग की इजाजत नहीं दे सकते : हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र को भेजे गए वेंटिलेटर में से कोई भी खराब हैं तो उसे बदला जाना चाहिए. (सांकेतिक तस्वीर

मुंबई:

बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अगर केंद्र द्वारा महाराष्ट्र को भेजे गए वेंटिलेटर में से कोई भी खराब हैं तो उसे बदला जाना चाहिए. अदालत ने जोर देकर कहा कि वह कोविड-19 मरीजों पर ऐसे वेंटीलेटर के प्रयोग की अनुमति नहीं दे सकती क्योंकि बड़े पैमाने पर मरम्मत किए गए वेंटिलेटर से मरीज की जान जा सकती है. उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति आरवी गुगे और न्यायमूर्ति बीयू देबद्वार ने यह टिप्पणी कोविड-19 महामारी से जुड़े विभिन्न मामलों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की. अदालत को पिछले हफ्ते राज्य सरकार की ओर से पेश अभियोजक डीआर काले ने बताया था कि मराठवाड़ा के अस्पतालों को केंद्र की ओर से आपूर्ति किए गए 100 से अधिक वेंटिलेटरों में खराबी है और इसलिए उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

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राज्य के आरोपों का खंडन करते हुए केंद्र ने दावा किया कि अस्पतालों के कर्मचारी ही इन उपकरणों को चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं. काले ने बुधवार को अदालत को बताया कि राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के विशेषज्ञों ने केंद्र द्वारा मुहैया कराए गए वेंटिलेटर की जांच की और उनका परिचालन किया. काले द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक मरम्मत के बावजूद वेंटिलेटर लगातार काम करना बंद कर देते हैं और उनमें कई अन्य खामियां भी हैं. केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल के दो वरिष्ठ डॉक्टर बृहस्पतिवार को औरंगाबाद के अस्पतालों का दौरा करेंगे और इन उपकरणों की जांच करेंगे.

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सिंह ने अदालत को बताया कि अगर वेंटिलेटर में खामी पाई जाएगी तो इसकी जवाबदेही निर्माता की होगी. उन्होंने कहा कि इन वेंटिलेटर से किसी के जान जाने का खतरा नहीं है क्योंकि मराठवाड़ा क्षेत्र के अस्पताल इनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. पीठ ने सिंह का बयान स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘हम स्पष्ट करना चाहते हैं, हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार खामी युक्त वेंटिलेटर की आपूर्ति करने वाले उत्पादकों के साथ सख्त होगी.'' अदालत ने कहा कि अगर जरूरत हुई तो वह खामी वाले वेंटिलेटर को वापस करने का निर्देश दे सकती है. पीठ ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि खामी वाले वेंटिलेटर को बदलकर नए सही वेंटिलेटर स्थापित किए जाए.'' पीठ ने दिल्ली के दो डॉक्टरों के दौरे के बाद रिपोर्ट जमा करने के निर्देश के साथ मामले को अगली सुनवाई के लिए सात जून को सूचीबद्ध कर दिया.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)