सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवादित स्थल के आसपास की जमीन के अधिग्रहण से जुड़े केन्द्रीय कानून को चुनौती देने वाली ताजा याचिका पर सुनवाई करेगा, कोर्ट ने उसे भी मुख्य याचिका के साथ जोड़ दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि जो कुछ कहना है वो संविधान पीठ के सामने जाकर कहें. बता दें कि हिंदू महासभा के चतुर्वेदी और कमलेश कुमार तिवारी के अलावा कुछ अन्य लोगों ने लैंड एक्वीजिशन एक्ट की वैधता पर सवाल उठाए थे. याचिका में कहा गया था कि राज्यसूची की आड़ में केंद्र, राज्य की भूमि का अधिग्रहण कर रहा है.
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बता दें कि केंद्र सरकार ने कोर्ट में अर्जी देते हुए कहा था कि 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था. इस भूमि पर कोर्ट ने यथा स्थिति बरकरार रखने के लिए कहा था. जबकि विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ का है. बाकि जमीन पर किसी तरह का विवाद नहीं है. इसलिए बाकी की जमीन को राम जन्म भूमि न्यास को लौटा देना चाहिए. साल 1993 में केंद्र की सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण एक्ट के तहत जमीन को अधिग्रहित कर लिया था. इसके बाद जमीन से जुड़े विवाद को लेकर सभी दाखिल याचिकाओं को खत्म कर दिया था.
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