विज्ञापन
This Article is From Dec 03, 2019

Ayodhya Case: मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन बोले- बेतुकी वजह के लिए केस से हटा दिया गया

अयोध्या मामले पर जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने दावा किया है कि मुस्लिम पक्ष ने उन्हें केस की पैरवी से हटा दिया है. राजीव धवन ने खुद फेसबुक पोस्ट के ज़रिए ये खुलासा किया है. धवन ने लिखा कि मुझे केस से हटा दिया गया है क्योंकि मेरी सेहत ठीक नहीं रहती है. लेकिन दरअसल ऐसा कुछ नहीं है. यह बिल्कुल ही बेतुकी वजह है. जमीयत को ये अधिकार है कि वो मुझे केस से हटा दें, लेकिन वजह तो सही बताएं. जमीअत की दलील गलत है. 

वहीं, जमीयत के वकील एजाज मकबूल का कहना है कि ये कहना गलत है कि बीमार होने के कारण राजीव धवन को हटा दिया गया. दरअसल, जमीयत सोमवार को ही पुनर्विचार याचिका दाखिल करना चाहता था. लेकिन राजीव धवन उपलब्ध नहीं थे इसलिए उनसे सलाह किए बगैर और नाम के पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई. 

Ayodhya Verdict: पुनर्विचार याचिका के हिमायती हैं मुल्‍क के 99 फीसद मुस्लिम: मौलाना रहमानी

दूसरी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा समर्थित अन्य पक्षकारों के वकील एम आर शमशाद ने कहा कि राजीव धवन उनकी ओर से केस में वकील रहेंगे. पक्षकार राजीव धवन से मिलकर उनकी ओर से केस लड़ने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे. धवन ने इस केस में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से जी जान से मेहनत की गई है. उन्होंने इस केस के लिए अपना दिल और आत्मा लगाई है. इसलिए भले ही जमीयत ने उन्हें केस से हटाया दिया हो. लेकिन दूसरे पक्षकार उन्हें ही बतौर वकील चाहते हैं.

Ayodhya Case : अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में नहीं दाखिल करेगा पुनर्विचार याचिका

बता दें, अयोध्या मामले पर जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की. याचिका एम सिद्दीक की ओर से दाखिल की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 9 नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई. सूत्रों के मुताबिक जमीअत ने कोर्ट के फैसले के उन तीन बिंदुओं को फोकस किया है, जिसमें ऐतिहासिक गलतियों का ज़िक्र है, लेकिन फैसला इनके ठीक उलट आया है.

Ayodhya Case : अयोध्या मामले पर रिव्यू पीटिशन को लेकर औवेसी ने दिया बयान, कही ये बात

याचिका में कहा गया है कि अव्वल तो ये कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस बात के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. वहीं, दूसरा बिंदू है कि कि 22-23 दिसंबर 1949 की रात आंतरिक अहाते में मूर्तियां रखना भी गलत था, ये सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बात कही थी. 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा तोड़ना भी गलत था. लेकिन इन गलतियों पर सजा देने के बजाय उनको पूरी ज़मीन दे दी गई. याचिका में कहा गया है कि लिहाजा कोर्ट इस फैसले पर फिर से विचार करे. 

VIDEO: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की पुनर्विचार याचिका

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
MP-UP और राजस्‍थान सहित इन राज्‍यों में भारी बारिश की चेतावनी, जानिए आपके यहां कैसा रहेगा मौसम
Ayodhya Case: मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन बोले- बेतुकी वजह के लिए केस से हटा दिया गया
AAP ने गोवा के दो पूर्व विधायकों को चुनाव खर्च के लिए नकद में किया भुगतान : दिल्ली शराब घोटाले पर CBI
Next Article
AAP ने गोवा के दो पूर्व विधायकों को चुनाव खर्च के लिए नकद में किया भुगतान : दिल्ली शराब घोटाले पर CBI
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com