अयोध्या मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एग्ज़िक्युटिव की मीटिंग कल लखनऊ में होगी. अयोध्या मसले (Ayodhya Case) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले यह बोर्ड की आखिरी मीटिंग होगी. पर्सनल लॉ बोर्ड ही बाबरी मस्जिद के ज़्यादातर पक्षकारों को केस लड़ने में मदद करता है. मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट में अभी तक हुई बहसों का विश्लेषण पेश किया जाएगा ताकि बोर्ड कुछ राय कायम कर सके कि मुकदमे का रुख क्या लगता है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई चल रही है. सुनवाई 17 अक्टूबर तक होगी और नवंबर में इस मामले में फैसला आएगा. अब 14 अक्टूबर से सिर्फ चार दिन की सुनवाई और होगी.
बोर्ड दो अहम मुद्दों पर अपनी रणनीति बनाएगा. पहली यह कि अगर मस्जिद के पक्षकार केस जीत जाते हैं तो उस हालत में उनका रुख क्या हो. अभी गुरुवार को ही लखनऊ में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक सम्मेलन में यह प्रस्ताव पास हुआ है कि विवादित जमीन सुलह करके हिंदुओं को भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए दे दी जाए. और अगर किसी वजह से समझौता न हो पाए या अगर मुसलमान मुक़दमा जीत भी जाएं तो भी वो उस जमीन को हिंदुओं को गिफ्ट कर दें.
अब मुसलमान यह समझने लगे हैं कि अगर वे मुकदमा जीत भी जाएं तो भी अब वहां से रामलला की मूर्तियां हटाकर मस्जिद बनाना मुमकिन नहीं है. बैठक में ऐसे हालात के लिए बोर्ड अपना रुख तय करेगा.
मुस्लिम बुद्धिजीवियों की मांग, अयोध्या में विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी जाए
दूसरा मसला यह है कि अगर मंदिर पक्ष मुकदमा जीत जाता है तो उसके बाद देश भर में जिस तरह के विजय जुलूस और जश्न होंगे उसके नतीजे में हिंसा का अंदेशा है. इन हालात से कैसे निपटा जाए, बोर्ड इस पर भी अपनी राय कायम करेगा.
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एक ऐसे वक्त में जब मुसलमानों का एक बड़ा तबका चाहता है कि आपसी भाईचारे के लिए विवादित जमीन भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए हिंदुओं को दे दी जाए, बोर्ड पर इसका भी दबाव जरूर होगा.
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