सियोल में हुई कॉन्फ्रेंस में थावरचंद गेहलोत शामिल हुए.
नई दिल्ली:
सियोल में 5 से 7 सितम्बर, 2018 तक चलने वाले नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन आफ कोरिया द्वारा आयोजित और मिनिस्ट्री आफ फोरेन अफेयर्स , रिपब्लिक आफ कोरिया द्वारा प्रायोजित ‘एसम कॉन्फेरेंस ऑन ग्लोबल ऐजिंग एंड ह्यूमन राइट्स ऑफ ओल्डर पर्सनस’ में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत भारत की ओर से शामिल हुए. इस कान्फ्रेंस का उद्देश्य वृद्धजनों के लिए आयु आधारित भेदभाव को समाप्त करने, ऐसम सदस्य देशों में सतत नीतियां और संकल्प विकसित करने जैसे विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करके वृद्धजनों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देना है.
थावरचंद गेहलोत ने कान्फ्रेंस में कहा कि भारत में लोगों को उपलब्ध कराई जा रही बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के परिणामस्वरूप आयु में वृद्धि हुई है. अधिकांश देशों में वृद्धजनों की आबादी में वृद्धि पाई जा रही है. इस जनसांख्यिकी परिवर्तन का सामाजिक आर्थिक गतिविधियों के सभी पहलुओं पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर प्रत्याशित आयु 72 वर्ष है और वर्तमान शताब्दी के मध्य तक इसके 77 वर्ष तक बढ़ने की आशा है. सन् 2050 तक, भारत में इसके 69 वर्ष से बढ़ाकर 74 वर्ष होने बढ़ने की आशा है जिसमें वृद्ध महिलाओं की प्रत्याशित आयु लगभग 76 वर्ष तक बढ़ने की आशा है. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में वृद्धजनों (60 वर्ष और उससे अधिक) की आबादी 104 मिलियन है जो कुल आबादी का 8.6% है.
उन्होंने दावा किया की सन 2050 तक, इसके तीन गुणा यानि लगभग 316 मिलियन तक बढ़ने की संभावना है जो कुल आबादी (संयुक्त राष्ट्र विश्व जनसंख्या परिप्रेक्ष्य, 2017 संशोधन) का 19% होगी. सन 2050 तक, भारत में वृद्धजनों की आबादी विश्व के वृद्धजनों की आबादी का 15% होगी. तथा भारत की आबादी में वृद्धजनों की संख्या में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक पाई गई है. भारत में प्रत्येक 1000 वृद्ध पुरुषों की तुलना में वृद्ध महिलाओं की संख्या 1033 है. आयु में वृद्धि होने, लिंग अनुपात में और अधिक विृद्धि देखी गई है क्योंकि सबसे अधिक वृद्धजनों (80+की आबादी) में से, 1000 वृद्ध पुरुषों की तुलना में 1137 वृद्ध महिलाएं हैं. इस प्रकार वृद्ध महिलाओं की संख्या में वृद्धि होना लाजिमी है.
थावरचंद गेहलोत ने कान्फ्रेंस में कहा कि भारत में लोगों को उपलब्ध कराई जा रही बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के परिणामस्वरूप आयु में वृद्धि हुई है. अधिकांश देशों में वृद्धजनों की आबादी में वृद्धि पाई जा रही है. इस जनसांख्यिकी परिवर्तन का सामाजिक आर्थिक गतिविधियों के सभी पहलुओं पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर प्रत्याशित आयु 72 वर्ष है और वर्तमान शताब्दी के मध्य तक इसके 77 वर्ष तक बढ़ने की आशा है. सन् 2050 तक, भारत में इसके 69 वर्ष से बढ़ाकर 74 वर्ष होने बढ़ने की आशा है जिसमें वृद्ध महिलाओं की प्रत्याशित आयु लगभग 76 वर्ष तक बढ़ने की आशा है. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में वृद्धजनों (60 वर्ष और उससे अधिक) की आबादी 104 मिलियन है जो कुल आबादी का 8.6% है.
उन्होंने दावा किया की सन 2050 तक, इसके तीन गुणा यानि लगभग 316 मिलियन तक बढ़ने की संभावना है जो कुल आबादी (संयुक्त राष्ट्र विश्व जनसंख्या परिप्रेक्ष्य, 2017 संशोधन) का 19% होगी. सन 2050 तक, भारत में वृद्धजनों की आबादी विश्व के वृद्धजनों की आबादी का 15% होगी. तथा भारत की आबादी में वृद्धजनों की संख्या में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक पाई गई है. भारत में प्रत्येक 1000 वृद्ध पुरुषों की तुलना में वृद्ध महिलाओं की संख्या 1033 है. आयु में वृद्धि होने, लिंग अनुपात में और अधिक विृद्धि देखी गई है क्योंकि सबसे अधिक वृद्धजनों (80+की आबादी) में से, 1000 वृद्ध पुरुषों की तुलना में 1137 वृद्ध महिलाएं हैं. इस प्रकार वृद्ध महिलाओं की संख्या में वृद्धि होना लाजिमी है.
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