पठानकोट:
वर्ष 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध के दौरान पठानकोट में भी दुश्मन की तरफ से बमबारी की गई थी, लेकिन उस वक्त मंगल सिंह बाजवा उम्र में बहुत छोटे थे। उनका कहना है कि अब पिछले हफ्ते लगातार तीन दिन तक आती गोलियों और हेलीकॉप्टरों की आवाज़ों ने उन्हीं 44-45 साल पुरानी यादों को ताज़ा कर दिया।
पिछले शनिवार को तड़के से ही आतंकवादियों के खतरनाक हमले का निशाना बने पठानकोट एयरफोर्स बेस से चंद सौ मीटर की दूरी पर गांव के लोगों के बीच बैठकर पुरानी यादों में डूबते-उतराते मंगल सिंह बताते हैं, "मैं तब बहुत छोटा था... इस इलाके पर ज़ोरदार बमबारी की गई थी, कई घर तबाह हो गए थे... बहुत-से लोगों ने जानें गंवाई थीं... चारों तरफ लाशें बिछी हुई थीं..."
दरअसल, 2,000 एकड़ में फैले पठानकोट एयरफोर्स बेस में भारतीय सेना के रूस-निर्मित मिग-21 लड़ाकू विमान तथा हमलावर हेलीकॉप्टर रखे जाते हैं। इनके अलावा यहां आसपास के इलाके में लगभग 1,500 परिवार भी बसे हुए हैं, जो मुख्य रूप से उन्हीं लोगों के हैं, जो या भारतीय वायुसेना में काम करते हैं, या उन संगठनों में, जिनके सिर पर बेस की सुरक्षा का जिम्मा है - जैसे, सैन्य साजोसामान की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाला पूर्व फौजियों का संगठन डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स।
छह आतंकवादियों द्वारा बेस पर किए गए हमले और फिर लगातार चली मुठभेड़ के बाद पहली बार बुधवार को ही औरतें और बच्चे इलाके में खुलेआम घूमते दिखाई दिए। इसी इलाके में रहने वाली बैंककर्मी रेखा ने अपनी सोती हुई छोटी-सी बेटी को गोद में उठाए हुए बताया, "विस्फोट... गोलियों की आवाज़ें... रात-रातभर हेलीकॉप्टरों का शोर... यह सो ही नहीं पाती थी..."
पाकिस्तान से आए आतंकवादियों के इस घातक हमले में सात फौजी शहीद हुए, जबकि 20 अन्य घायल हुए। हालांकि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने बेस पर चली फौजी कार्रवाई का खुलकर बचाव किया, लेकिन मंगलवार को उन्होंने भी 'कुछ कमियों' की बात को कबूल किया था, जिनकी जांच कराए जाने की बात भी उन्होंने कही।
पिछले शनिवार को तड़के से ही आतंकवादियों के खतरनाक हमले का निशाना बने पठानकोट एयरफोर्स बेस से चंद सौ मीटर की दूरी पर गांव के लोगों के बीच बैठकर पुरानी यादों में डूबते-उतराते मंगल सिंह बताते हैं, "मैं तब बहुत छोटा था... इस इलाके पर ज़ोरदार बमबारी की गई थी, कई घर तबाह हो गए थे... बहुत-से लोगों ने जानें गंवाई थीं... चारों तरफ लाशें बिछी हुई थीं..."
दरअसल, 2,000 एकड़ में फैले पठानकोट एयरफोर्स बेस में भारतीय सेना के रूस-निर्मित मिग-21 लड़ाकू विमान तथा हमलावर हेलीकॉप्टर रखे जाते हैं। इनके अलावा यहां आसपास के इलाके में लगभग 1,500 परिवार भी बसे हुए हैं, जो मुख्य रूप से उन्हीं लोगों के हैं, जो या भारतीय वायुसेना में काम करते हैं, या उन संगठनों में, जिनके सिर पर बेस की सुरक्षा का जिम्मा है - जैसे, सैन्य साजोसामान की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाला पूर्व फौजियों का संगठन डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स।
छह आतंकवादियों द्वारा बेस पर किए गए हमले और फिर लगातार चली मुठभेड़ के बाद पहली बार बुधवार को ही औरतें और बच्चे इलाके में खुलेआम घूमते दिखाई दिए। इसी इलाके में रहने वाली बैंककर्मी रेखा ने अपनी सोती हुई छोटी-सी बेटी को गोद में उठाए हुए बताया, "विस्फोट... गोलियों की आवाज़ें... रात-रातभर हेलीकॉप्टरों का शोर... यह सो ही नहीं पाती थी..."
पाकिस्तान से आए आतंकवादियों के इस घातक हमले में सात फौजी शहीद हुए, जबकि 20 अन्य घायल हुए। हालांकि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने बेस पर चली फौजी कार्रवाई का खुलकर बचाव किया, लेकिन मंगलवार को उन्होंने भी 'कुछ कमियों' की बात को कबूल किया था, जिनकी जांच कराए जाने की बात भी उन्होंने कही।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
पठानकोट एयरफोर्स बेस, पठानकोट बेस पर हमला, पठानकोट आतंकवादी हमला, भारत-पाक युद्ध, 1971 युद्ध, Pathankot Air Base, Pathankot Attack, Pathankot Indian Air Force Base, 1971 War