शरद पवार का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्री और एनसीपी की सर्वेसर्वा शरद पवार ने कैबिनेट की बैठक में दागी नेताओं पर सरकार के अध्यादेश पर बदले रुख पर सवाल उठाए हैं।
कहा जा रहा था कि यूपीए के कुछ दल आखिर यह जानना चाहते हैं कि दागी नेताओं पर इस अध्यादेश की इतनी चलती क्या थी और फिर इस मामले में यू-टर्न क्यों लिया गया है।
इससे पहले, खबर थी कि यूपीए के सहयोगी दल के प्रमुख पवार का मानना है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कुछ दिन पूर्व ही कैबिनेट द्वारा पास किए गए अध्यादेश को वापस लेने के नौबत आ गई है। वहीं, नेश्नल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि कांग्रेस को सहयोगी दलों के साथ बेहतर तालमेल रखना चाहिए।
इससे पहले आज दिन में दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश के मुद्दे पर आज कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, अहमद पटेल और गृहमंत्री सुशील शिंदे मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में अध्यादेश को वापस लेने पर राय बन गई थी। इस फैसले के साथ अब यह साफ हो गया है कि शाम की कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश वापसी पर मुहर लगनी बाकी थी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज यहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी और समझा जाता था कि उन्होंने दागी सांसदों, विधायकों से संबंधित विवादास्पद अध्यादेश के मुद्दे पर उन्हें जानकारी दी थी। दरअसल, तीखे बयान में राहुल गाधी ने इसे बकवास बताया था, जिसके बाद सरकार के पास इस अध्यादेश को वापस लेने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था।
इससे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात में राहुल ने अध्यादेश विवाद पर पीएम से अफसोस जताया है। उनका मकसद अपमान करना नहीं था। साथ ही उन्होंने साफ किया कि वह अध्यादेश के खिलाफ हैं। लोगों में इस अध्यादेश के खिलाफ गुस्सा है। उनकी मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री इस बातचीत से संतुष्ट थे और उन्होंने राहुल की बात मान ली थी।
कहा जा रहा था कि यूपीए के कुछ दल आखिर यह जानना चाहते हैं कि दागी नेताओं पर इस अध्यादेश की इतनी चलती क्या थी और फिर इस मामले में यू-टर्न क्यों लिया गया है।
इससे पहले, खबर थी कि यूपीए के सहयोगी दल के प्रमुख पवार का मानना है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कुछ दिन पूर्व ही कैबिनेट द्वारा पास किए गए अध्यादेश को वापस लेने के नौबत आ गई है। वहीं, नेश्नल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि कांग्रेस को सहयोगी दलों के साथ बेहतर तालमेल रखना चाहिए।
इससे पहले आज दिन में दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश के मुद्दे पर आज कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, अहमद पटेल और गृहमंत्री सुशील शिंदे मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में अध्यादेश को वापस लेने पर राय बन गई थी। इस फैसले के साथ अब यह साफ हो गया है कि शाम की कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश वापसी पर मुहर लगनी बाकी थी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज यहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी और समझा जाता था कि उन्होंने दागी सांसदों, विधायकों से संबंधित विवादास्पद अध्यादेश के मुद्दे पर उन्हें जानकारी दी थी। दरअसल, तीखे बयान में राहुल गाधी ने इसे बकवास बताया था, जिसके बाद सरकार के पास इस अध्यादेश को वापस लेने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था।
इससे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात में राहुल ने अध्यादेश विवाद पर पीएम से अफसोस जताया है। उनका मकसद अपमान करना नहीं था। साथ ही उन्होंने साफ किया कि वह अध्यादेश के खिलाफ हैं। लोगों में इस अध्यादेश के खिलाफ गुस्सा है। उनकी मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री इस बातचीत से संतुष्ट थे और उन्होंने राहुल की बात मान ली थी।
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