
हेमंत बिस्वास सरमा का माणिक सरकार पर कटाक्ष.
- हेमंत बिस्वास सरमा का माणिक सरकार पर कटाक्ष.
- बोले- केरल, बंगाल या बांग्लादेश में मिलेगी शरण.
- 69 वर्षीय माणिक सरकार वर्ष 1998 से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं.
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नई दिल्ली:
असम के मंत्री तथा BJP नेता हेमंत बिस्वास सरमा ने त्रिपुरा के सत्ताच्युत होने जा रहे मुख्यमंत्री माणिक सरकार पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि श्री सरकार अब सिर्फ पश्चिम बंगाल, केरल या पड़ोसी बांग्लादेश में शरण ले सकते हैं, क्योंकि राज्य (त्रिपुरा) में अगली सरकार BJP बनाने जा रही है.
पत्रकारों द्वारा माणिक सरकार के बारे में टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर हेमंत बिस्वास सरमा ने कहा, "माणिक सरकार के पास अब सिर्फ तीन विकल्प बचे हैं... वह पश्चिम बंगाल जा सकते हैं, जहां सीपीएम की अब भी कुछ उपस्थिति है... वह केरल जा सकते हैं, जहां उनकी पार्टी सत्ता में है, और तीन साल और शासन करने वाली है, या वह पड़ोसी देश बांग्लादेश जा सकते हैं..."
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गौरतलब है कि BJP नेता के उस बयान पर पहले भी विवाद हो चुका है, जब उन्होंने कथित रूप से कहा था कि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद बांग्लादेश भेज दिया जाएगा.
कथित रूप से हेमंत बिस्वास सरमा ने यह टिप्पणी मुख्यमंत्री माणिक सरकार के निर्वाचन क्षेत्र धानपुर में एक चुनावी रैली के दौरान की थी, जब वह सीमापार से होने वाले अपराधों तथा राज्य की बिगड़ती कानून एवं व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार की आलोचना कर रहे थे.
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69-वर्षीय माणिक सरकार वर्ष 1998 से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं, तथा वह सीपीएम के पोलितब्यूरो के भी सदस्य हैं, और यह उनका लगातार चौथा कार्यकाल था.
60-सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा की 59 सीटों के लिए मतदान 18 फरवरी को करवाया गया था, क्योंकि एक सीट पर सीपीएम प्रत्याशी की हत्या के कारण मतदान रद्द कर दिया गया था.
पत्रकारों द्वारा माणिक सरकार के बारे में टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर हेमंत बिस्वास सरमा ने कहा, "माणिक सरकार के पास अब सिर्फ तीन विकल्प बचे हैं... वह पश्चिम बंगाल जा सकते हैं, जहां सीपीएम की अब भी कुछ उपस्थिति है... वह केरल जा सकते हैं, जहां उनकी पार्टी सत्ता में है, और तीन साल और शासन करने वाली है, या वह पड़ोसी देश बांग्लादेश जा सकते हैं..."
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कथित रूप से हेमंत बिस्वास सरमा ने यह टिप्पणी मुख्यमंत्री माणिक सरकार के निर्वाचन क्षेत्र धानपुर में एक चुनावी रैली के दौरान की थी, जब वह सीमापार से होने वाले अपराधों तथा राज्य की बिगड़ती कानून एवं व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार की आलोचना कर रहे थे.
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60-सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा की 59 सीटों के लिए मतदान 18 फरवरी को करवाया गया था, क्योंकि एक सीट पर सीपीएम प्रत्याशी की हत्या के कारण मतदान रद्द कर दिया गया था.
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