असम विधानसभा ने राज्य के सभी सरकारी मदरसों को समाप्त कर उन्हें सामान्य स्कूल में तब्दील करने के प्रावधान वाले विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी. इससे पहले विपक्ष ने विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की अपनी मांग को अस्वीकार किए जाने के बाद सदन से वाक आउट किया. असम के शिक्षा मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कांग्रेस और एआईयूडीएफ सदस्यों के ‘असम निरसन विधेयक-2020' को उचित चर्चा के लिए स्थायी समिति को भेजने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने विधेयक पर मतविभाजन कराने को कहा. सदन में शोरगुल के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. भाजपा के सभी सहयोगी दलों-असम गण परिषद एवं बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) - ने विधेयक का समर्थन किया.
इस विधेयक में दो मौजूदा कानूनों - असम मदरसा शिक्षा (प्रादेशिक) अधिनियम-1995 और असम मदरसा शिक्षा (प्रादेशिक कर्मचारियों की सेवाओं एवं मदरसा शिक्षा संस्थान पुनर्गठन) अधिनियम- 2018- को रद्द करने का प्रस्ताव है. विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों का जवाब देते हुए सरमा ने कहा, ‘‘मैं महसूस करता हूं कि यह अल्पसंख्यक समुदाय के लिए उपहार साबित होगा. मदरसों में जो बच्चे पढ़ रहे हैं वे 10 साल बाद इस फैसले का स्वागत करेंगे.'' विधेयक के मुताबिक, सभी मदरसों को अगले साल एक अप्रैल से उच्च प्राथमिक, उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में तब्दील किया जाएगा लेकिन इनमें कार्यरत शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के दर्जे, वेतन, भत्तों एवं सेवा शर्तों में बदलाव नहीं होगा.
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विपक्ष ने मदरसों को बंद करने के सरकार के कदम की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में यह ध्रुवीकरण का हथकंडे है जहां अगले साल मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैं. सरमा ने कहा, “यह कहना गलत है कि सरकार यह मुस्लिम समाज के खिलाफ कर रही है. इस्लामी कट्टरवाद का विरोध करना इस्लाम धर्म का विरोध करना नहीं है. हमारी सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान के लिए बहुत कुछ किया है.” मदरसों को अरबी, उर्दू और अंग्रेजी सीखने के लिए उत्कृष्ट केंद्र बनाने के कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद के सुझाव पर सरमा ने कहा कि वर्तमान में 50,600 छात्र सामान्य स्कूलों में अरबी सीख रहे हैं और यह परिवर्तित मदरसों में भी पढ़ाया जाता रहेगा. इस बीच असम विधानसभा का तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र बुधवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस सत्र में कुल 11 विधेयक पारित किए गए.
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