प्रतिदिन न्यूज़ चैनल पर महिलाओं के कपड़ों पर टिप्पणी की गई थी
असम:
असम के एक लोकल न्यूज़ चैनल में महिलाओं द्वारा छोटे कपड़े पहने जाने को लेकर दिखाई गई एक टीवी रिपोर्ट को लेकर लोगों में काफी गुस्सा भड़क गया है। ये रिपोर्ट पिछले महीने ही प्रसारित की गई थी लेकिन इस पर अब सोशल मीडिया में लोगों का कड़ा विरोध सामने आया है। इस रिपोर्ट में महिलाओं के कम कपड़े पहनने को मुद्दा बनाया गया है।
प्रतिदिन टाइम नाम के इस न्यूज़ चैनल ने अब अपनी वेबसाइट से इस रिपोर्ट को हटा दिया है।
इस वीडियो के ओपनिंग शॉट्स में बंदरों को पैंट पहने हुए दिखाया गया फिर कहा गया कि एक तरफ जहां बंदरों को कपड़े पहनने के महत्व के बारे में बताया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो इन बुनियादी मान्यताओं को भूलती जा रही हैं।
शरीर के खुले हिस्से पर फोकस
तीन मिनट के इस वीडियो में असम की राजधानी गुवाहाटी में सैंकड़ों महिलाओं को सड़क पर कम और छोटे कपड़ों में घूमते हुए दिखाया गया। इस वीडियो में ख़ासतौर पर उनके खुले पैरों पर फोकस किया गया और इसके आधार पर कहा गया कि कैसे उनकी महिलाओं के बारे में बनी राय सही साबित होती है। वीडियो में इन लड़कियों के चेहरे को भी ढंकने की कोशिश नहीं की गई।
रविवार को पुलिस ने बिना कारण बताए इस चैनल के खिलाफ़ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया था। पुलिस ने इनपर वहां लगे कर्फ्यू में बाधा पहुंचाने का भी आरोप लगाया। हालांकि कर्फ्यू से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
प्रदर्शन कर रही महिलाओं में शामिल शोधार्थी और लैंगिक समानता की पैरोकार मीनाक्षी बुजरब्रुहा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, 'आजकल हमें पुलिस से ज्य़ादा मीडिया से डर लगता है, क्योंकि आपको पता नहीं होता कि आपको कब और कहां मीडिया वाले पकड़ लें और न्यूज़ के नाम पर बेइज्ज़त कर दें।'
चैनल को खुला पत्र
चैनल को लिखे एक खुले पत्र में एक महिला ने चैनल की ग़लतियों को उजागर करते हुए कहा, 'आपने मेरी शिक्षा, मेरी डिग्रियों, मेरी उपलब्धियों, संघर्षों, मेरी काबलियत, मुश्किलातों, गुणों और विशेषताओं को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करते हुए मेरी तुलना एक बंदर से कर दी।' आप मुझे मेरी मर्ज़ी के बगैर सड़क पर परेशान करते हैं, अपने कैमरे का लेंस मेरे शरीर पर टिका देते हैं और पीछे से एक घटिया गाना चला देते हैं और फिर बड़ी हिम्मत से दावा करते हैं कि असम की परंपरा को आपने नहीं बल्कि हमने भुला दिया है?'
प्रतिदिन न्यूज़ चैनल के एडिटर इन चीफ़, नीतुमोनी सैकिया ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट करते हुए लोगों की भावना को चोट पहुंचाने के लिए माफी मांगी है, लेकिन उन्होंने फिर से चैनल द्वारा चलाई गई खबर को सही साबित करने की कोशिश की। उन्होंने पूछा, 'क्या आप किसी शादी या नामघर (पूजा करने की जगह) में शॉर्ट्स पहनकर जाएंगे? शायद नहीं क्योंकि कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो असमिया समाज में कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
प्रतिदिन टाइम नाम के इस न्यूज़ चैनल ने अब अपनी वेबसाइट से इस रिपोर्ट को हटा दिया है।
इस वीडियो के ओपनिंग शॉट्स में बंदरों को पैंट पहने हुए दिखाया गया फिर कहा गया कि एक तरफ जहां बंदरों को कपड़े पहनने के महत्व के बारे में बताया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो इन बुनियादी मान्यताओं को भूलती जा रही हैं।
शरीर के खुले हिस्से पर फोकस
तीन मिनट के इस वीडियो में असम की राजधानी गुवाहाटी में सैंकड़ों महिलाओं को सड़क पर कम और छोटे कपड़ों में घूमते हुए दिखाया गया। इस वीडियो में ख़ासतौर पर उनके खुले पैरों पर फोकस किया गया और इसके आधार पर कहा गया कि कैसे उनकी महिलाओं के बारे में बनी राय सही साबित होती है। वीडियो में इन लड़कियों के चेहरे को भी ढंकने की कोशिश नहीं की गई।
रविवार को पुलिस ने बिना कारण बताए इस चैनल के खिलाफ़ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया था। पुलिस ने इनपर वहां लगे कर्फ्यू में बाधा पहुंचाने का भी आरोप लगाया। हालांकि कर्फ्यू से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
प्रदर्शन कर रही महिलाओं में शामिल शोधार्थी और लैंगिक समानता की पैरोकार मीनाक्षी बुजरब्रुहा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, 'आजकल हमें पुलिस से ज्य़ादा मीडिया से डर लगता है, क्योंकि आपको पता नहीं होता कि आपको कब और कहां मीडिया वाले पकड़ लें और न्यूज़ के नाम पर बेइज्ज़त कर दें।'
चैनल को खुला पत्र
चैनल को लिखे एक खुले पत्र में एक महिला ने चैनल की ग़लतियों को उजागर करते हुए कहा, 'आपने मेरी शिक्षा, मेरी डिग्रियों, मेरी उपलब्धियों, संघर्षों, मेरी काबलियत, मुश्किलातों, गुणों और विशेषताओं को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करते हुए मेरी तुलना एक बंदर से कर दी।' आप मुझे मेरी मर्ज़ी के बगैर सड़क पर परेशान करते हैं, अपने कैमरे का लेंस मेरे शरीर पर टिका देते हैं और पीछे से एक घटिया गाना चला देते हैं और फिर बड़ी हिम्मत से दावा करते हैं कि असम की परंपरा को आपने नहीं बल्कि हमने भुला दिया है?'
प्रतिदिन न्यूज़ चैनल के एडिटर इन चीफ़, नीतुमोनी सैकिया ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट करते हुए लोगों की भावना को चोट पहुंचाने के लिए माफी मांगी है, लेकिन उन्होंने फिर से चैनल द्वारा चलाई गई खबर को सही साबित करने की कोशिश की। उन्होंने पूछा, 'क्या आप किसी शादी या नामघर (पूजा करने की जगह) में शॉर्ट्स पहनकर जाएंगे? शायद नहीं क्योंकि कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो असमिया समाज में कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।