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This Article is From Dec 20, 2019

CAA Protest: हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर बोले असदुद्दीन ओवैसी- प्रदर्शन करना हमारा अधिकार, लेकिन...

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'प्रदर्शन करना हमारा अधिकार है लेकिन हम प्रदर्शनों में होने वाली हिंसा की निंदा करते हैं. जो भी लोग हिंसा में शामिल होते हैं, वो आंदोलन के दुश्मन हैं. प्रदर्शन होना चाहिए लेकिन ये तभी सफल होगा जब ये शांतिपूर्ण तरीके से होगा.'

CAA Protest: हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर बोले असदुद्दीन ओवैसी- प्रदर्शन करना हमारा अधिकार, लेकिन...
असदु्द्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. (फाइल फोटो)
हैदराबाद:

नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. बीते गुरुवार कई संगठनों व नामी हस्तियां ने सड़कों पर उतरकर इस कानून को वापस लेने की मांग की. मंगलुरु, संभल और लखनऊ में प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और तीन लोगों की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश व कर्नाटक के कई जिलों में धारा 144 लागू की गई है. संशोधित कानून व विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए शुक्रवार को लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) हैदराबाद स्थित पार्टी मुख्यालय में बुलाई गई 'यूनाइटेड मुस्लिम एक्शन कमेटी' की बैठक में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की वजह से पूरा आंदोलन बदनाम हो रहा है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'प्रदर्शन करना हमारा अधिकार है लेकिन हम प्रदर्शनों में होने वाली हिंसा की निंदा करते हैं. जो भी लोग हिंसा में शामिल होते हैं, वो आंदोलन के दुश्मन हैं. प्रदर्शन होना चाहिए लेकिन ये तभी सफल होगा जब ये शांतिपूर्ण तरीके से होगा.'

ओवैसी ने आगे कहा, 'हमें इस कानून का पुरजोर विरोध करना है लेकिन पुलिस की इजाजत लेने के बाद. आप जानते हैं कि मंगलुरु और लखनऊ में हिंसा हुई और दो मुस्लिमों की मौत हो गई. अगर प्रदर्शनों में हिंसा होती है तो हम खुद को इनसे अलग कर लेंगे.'

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गौरतलब है कि बीते गुरुवार हुए हिंसक प्रदर्शन में मंगलुरु में दो और लखनऊ में एक शख्स की मौत हो गई. रिपोर्ट्स के आधार पर मंगलुरु में पुलिस की गोली लगने से दोनों की मौत हुई. शुक्रवार को जब स्थानीय न्यूज चैनल के पत्रकार मृतकों के परिवारों का इंटरव्यू ले रहे थे तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इतना ही नहीं, पुलिस ने केरल के चार रीजनल न्यूज चैनल के 30 पत्रकारों को हिरासत में लेकर पूछताछ की. पुलिस का कहना है कि इन पत्रकारों के मान्यता प्राप्त न होने की वजह से उन्हें रोका गया था. इस वाक्ये से स्थानीय पत्रकार संगठनों में गुस्सा है. वह पुलिस द्वारा किए गए व्यवहार की निंदा कर रहे हैं और उनसे माफी की मांग कर रहे हैं.

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