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This Article is From Dec 16, 2020

असदुद्दीन ओवैसी की यूपी के चुनाव में दांव आजमाने की तैयारी, BJP से नाता तोड़ने वाली पार्टी से मिलाया हाथ

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी शिवपाल यादव से भी मिलने की कोशिश में, बसपा से गठबंधन करने की भी चर्चा

असदुद्दीन ओवैसी की यूपी के चुनाव में दांव आजमाने की तैयारी, BJP से नाता तोड़ने वाली पार्टी से मिलाया हाथ
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के साथ असदुद्दीन ओवैसी.
लखनऊ:

बिहार की कामयाबी के बाद एमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) अब यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) लड़ेंगे. इसके लिए उन्होंने आज सुहेलदेव राजभर पार्टी यानी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) से गठबंधन कर लिया है और शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) से बात करना चाहते हैं. चर्चा तो यह भी है कि उनका बसपा (BSP) से गठबंधन होगा लेकिन फिलहाल उन्होंने इससे इनकार किया है.

ओवैसी यूपी में साथी तलाश रहे हैं. आज सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी या एसबीएसपी से उनका तालमेल तय हुआ. एसबीएसपी का 2017 के चुनाव में बीजेपी से गठबंधन था और पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर योगी कैबिनेट में मंत्री भी थे. बीजेपी से झगड़े के बाद अब उनका एआईएमआईएम से गठबंधन हो गया.

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ''यकीनन हमारी आज बातचीत हुई है. एआईएमआईएम भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ रहेगी और इंशा अल्लाह जनवरी में प्रोग्राम बनेगा..और मीटिंग्स होंगी. चूंकि पब्लिक मीटिंग्स पर तो कोविड की वजह से रिस्ट्रिक्शंस है. जनवरी में और भी अवाम से मुलाक़ात होगी,मीटिंग्स होंगी. और यक़ीनन इस सफ़र में हम सर के साथ हैं और आगे बढ़ेंगे.''

एसबीएसपी राजभर जाति की पार्टी मानी जाती है. यूपी में राजभर वोट क़रीब 4 फीसद हैं. पूर्वांचल के बलिया,आज़मगढ़, मऊ, गाज़ीपुर, चंदौली, देवरिया, जौनपुर और वाराणसी ज़िलों में इसका असर है. पूर्वांचल की 46 विधानसभा सीटों पर राजभर वोट 35000 से 80000 तक है. ओवैसी की नज़र इनमें से उन सीटों पर होगी जहां मुस्लिम वोट की तादाद ज़्यादा हो. वे कहते हैं कि वे यूपी का नाम बदलने नहीं, दिल जीतने आए हैं. 

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ''जहां पर जिस वॉर्ड में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गए थे, वहां बीजेपी हार गई. वे तीनों वॉर्ड हार गए जहां पर अमित शाह गए थे. हैदराबाद में हमारी जितनी सीटें थीं वह पूरी आ गईं. तो मैं यहां पर नाम बदलने नहीं आया हूं…दिल जीतने आया हूं. और इंशा अल्लाह ताला हम दिल जीतेंगे.''

ओवैसी ने अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की भी काफ़ी तारीफ की और बताया कि वे उनसे भी मुलाक़ात करना चाहते हैं. लेकिन इससे ज़्यादा उनके मायावती के साथ जाने की चर्चा है. लेकिन फिलहाल वे इससे इनकार करते हैं. 

असदुद्दीन ओवैसी से यह पूछने पर कि यह बड़ी चर्चा चल रही है कि बसपा से आपके अलायंस की, यह अफवाह थी, या क्या था? उन्होंने कहा कि बसपा से कोई बात नहीं हुई है. ऐसी कोई बात नहीं है.

ओवैसी ने यूपी का 2017 का विधानसभा चुनाव भी 38 सीटों पर लड़ा था लेकिन जीत नहीं पाए. हालांकि बिहार चुनाव के बाद उन्हें यूपी से भी उम्मीद है. कई लोग उन्हें सेक्युलर वोटों का वोटकटवा मानते हैं. लेकिन ओवैसी के इस पर अपने तर्क हैं.

असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं कि ''हम जो 20 सीटों पर लड़े थे, पांच पर हम जीते और 9 पर गठबंधन जीता, छह पर बीजेपी जीती और जो हमको वोट मिला उसको जोड़ भी दिया जाए गठबंधन को, तो भी बीजेपी ज़्यादा जीती.''

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