लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन औवेसी (Asaduddin Owaisi) ने एनडीटीवी से खास बातचीत में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) को लेकर अपने विचार रखे. उन्होंने इस मामले में पुनर्विचार याचिका डालने को लेकरकहा कि संविधान उन्हें इस बात का अधिकार देता है इसलिए पुनर्विचार याचिका डाली जा रही है. सबरीमला मामले में भी डाली गई थी. ओवैसी ने कहा, '' जब सुप्रीम कोर्ट अपने जजमेंट में कहता है कि 1949 में मूर्तियां रख दी गईं. 6 दिसंबर 1992 को ढांचा गिराए जाने की घटना को वह अपराध करार देता है. 1934 में हुए दंगों को अपराध बताता है. तो ये जगह हिंदुओं को कैसे मिल सकती है?''
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ओवैसी ने कहा कि बीजेपी आरएसएस खुद बाबर के समय को सांप्रदायिक तौर पर बेहद क्रूर मानते हैं. ऐसे में कैसे संभव है कि वहां मस्जिद में नमाज की इजाजत नहीं दी गई होगी. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है राजीव धवन इस मामले को मजबूती से सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे.
उन्होंने कहा कि 5 एकड़ दे देना फैसला नहीं है. मुसलमान भले ही गरीब हो लेकिन इतना कमजोर नहीं कि 5 एकड़ जमीन न मिले तो मस्जिद नहीं बना सकता. उन्होंने कहा कि अभी अगर में बिहार के सबसे पिछड़े इलाके सीमांचल में जाकर भी मैं भीख मांगूगा तो 2 घंटे में पैसे मिल जाएंगे और मस्जिद बना लूंगा. ओवैसी ने कहा कि मेंरी लड़ाई पांच एकड़ की लड़ाई नहीं थी, मेरी लड़ाई मेरी मस्जिद की लड़ाई थी.
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बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ भूमि को रामलला विराजमान को दे दी. पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी देने का आदेश दिया.वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद मदनी गुट) ने शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय किया है.
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