वीडियो में जम्मू-कश्मीर में तैनात एक और जवान का वीडियो सामने आया है
नई दिल्ली:
पिछले कुछ दिनों में सेना की जवानों ने वीडियो जारी कर अधिकारियों और सुविधाओं को लेकर शिकायत की है. इनमें सबसे पहले बीएसएफ के जवान तेज बहादुर ने खराब खाना मिलने, सीआरपीएफ के जवान जीत सिंह ने सुविधाएं न मिलने, एसएसबी के एक जवान ने अधिकारियों पर तेल और राशन बेचने और सेना के जवान यज्ञ प्रताप सिंह ने घरों में अफसरों की तरफ से निजी कार्य कराने जैसे आरोप लगाए हैं. लेकिन इस मामले में सेना के कुछ अधिकारियों ने जवाबी वीडियो पोस्ट किए हैं जिसमें कहा गया है कि ऐसे कृत्य सेना के भीतर अनुशासन का गंभीर उल्लंघन है.
कई वीडियो सामने आने के बाद सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कमांड हेडक्वॉर्टर पर शिकायत के बक्से रखने का निर्देश दिया था. हालांकि सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने सेना में 'सेवादारी व्यवस्था' को महत्वपूर्ण बताते हुए शुक्रवार को कहा कि यदि किसी जवान को कोई काम पसंद नहीं है तो उसे बेहिचक अपनी बात उच्च स्तर तक पहुंचानी चाहिए जिससे कि उसका समाधान हो सके.
वीडियो में जम्मू-कश्मीर में तैनात इस जवान ने आरोप लगाया, "बहुत से लोग तो कुत्ते घुमाने में ही लगे हुए हैं. वो भी अधिकारियों के." उसने आगे कहा, "आप कहीं भी देख लेना, फिर चाहे वह चंडीगढ़ हो या दिल्ली या जहां पर सेना है, आधी से ज्यादा फौज की गाड़ियों पर उनकी फैमिली ही घूमती रहती हैं न कि जवान. उनकी फैमली अगर ब्यूटीपार्लर जा रही हैं या कहीं भी जा रही हैं तो गाड़ी दी जा रही है. एक जवान पर छुट्टी पर जा रहा है या इमरजेंसी है तो उसको गाड़ी नहीं दी जा रही है."
जवाबी वीडियो में सेना के अधिकारियों का कहना है कि आर्मी जवानों द्वारा सोशल मीडिया में अपनी बात रखने के कारण अनुसाशन के मामले में अप्रत्याशित मुसीबतों का सामना कर रही है. "फौज व्हॉटअप से, फेसबु से या टेलीविजन से नहीं चलती. मेरा यह मानना है कि ऐसे लोग जो कि इस सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं, और एक भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, इनके ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. वर्ना अनुशासन खराब होगा. अनुशासन खराब होगा तो नेचुरली मनोबल पर फर्क पड़ेगा और लड़ाई लड़ने की क्षमता पर भी फर्क पड़ेगा."
कई वीडियो सामने आने के बाद सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कमांड हेडक्वॉर्टर पर शिकायत के बक्से रखने का निर्देश दिया था. हालांकि सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने सेना में 'सेवादारी व्यवस्था' को महत्वपूर्ण बताते हुए शुक्रवार को कहा कि यदि किसी जवान को कोई काम पसंद नहीं है तो उसे बेहिचक अपनी बात उच्च स्तर तक पहुंचानी चाहिए जिससे कि उसका समाधान हो सके.
वीडियो में जम्मू-कश्मीर में तैनात इस जवान ने आरोप लगाया, "बहुत से लोग तो कुत्ते घुमाने में ही लगे हुए हैं. वो भी अधिकारियों के." उसने आगे कहा, "आप कहीं भी देख लेना, फिर चाहे वह चंडीगढ़ हो या दिल्ली या जहां पर सेना है, आधी से ज्यादा फौज की गाड़ियों पर उनकी फैमिली ही घूमती रहती हैं न कि जवान. उनकी फैमली अगर ब्यूटीपार्लर जा रही हैं या कहीं भी जा रही हैं तो गाड़ी दी जा रही है. एक जवान पर छुट्टी पर जा रहा है या इमरजेंसी है तो उसको गाड़ी नहीं दी जा रही है."
जवाबी वीडियो में सेना के अधिकारियों का कहना है कि आर्मी जवानों द्वारा सोशल मीडिया में अपनी बात रखने के कारण अनुसाशन के मामले में अप्रत्याशित मुसीबतों का सामना कर रही है. "फौज व्हॉटअप से, फेसबु से या टेलीविजन से नहीं चलती. मेरा यह मानना है कि ऐसे लोग जो कि इस सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं, और एक भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, इनके ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. वर्ना अनुशासन खराब होगा. अनुशासन खराब होगा तो नेचुरली मनोबल पर फर्क पड़ेगा और लड़ाई लड़ने की क्षमता पर भी फर्क पड़ेगा."
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