अरविंद केजरीवाल-एलजी की नई 'जंग' : दिल्ली एसीबी में बिहार पुलिस के अधिकारी

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

दिल्ली में केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच एक और विवाद पैदा हो सकता है। केजरीवाल सरकार ने अपनी एंटी करप्शन ब्रांच के लिए बिहार से छह पुलिस अधिकारी लेने का फैसला किया है। खबर है कि इनमें पांच अधिकारी दिल्ली में ज्वाइन भी कर चुके हैं। एक का ज्वाइन करना बाकी है। इस मामले पर विवाद गहराने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आज उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलने भी गए।

उपराज्यपाल के दफ्तर ने बयान जारी कर जताया ऐतराज
उपराज्यपाल नजीब जंग के दफ्तर ने बयान जारी कर इन नियुक्तियों पर ऐतराज जताया है। एलजी दफ्तर के मुताबिक, एसीबी उपराज्यपाल के अधीन है और नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल की इजाजत नहीं ली गई।

दिल्ली सरकार का पक्ष
दिल्ली सरकार ने बयान जारी करके कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही एसीबी के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा हल कर दिया है, किसी तरह की कोई दुविधा नहीं है। दिल्ली सरकार देश के सभी ईमानदार अफसरों से एसीबी को मज़बूत करने की अपील करती है। एसीबी पर क़ानून एकदम साफ़ है और हाईकोर्ट ने भी इसको सही ठहराया है।

मनीष सिसोदिया बोले, इसमें क्या दिक्कत है?
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास पूरी पावर है। और एसीबी के पास भी पूरी पावर है। केंद्र सरकार संविधान का मजाक न बनाए। पहले भी एसीबी में अफसर अलग-अलग जगहों से आते रहे हैं, आगे भी आते रहेंगे। इसमें दिक्कत क्या है।

इस मुद्दे पर क्या कहते हैं दिल्ली सरकार के सूत्र
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक़, बिहार पुलिस के लोगों को दिल्ली एंटी करप्शन ब्रांच में लाने का फैसला करीब दो महीने पुराना है हालांकि इन्होंने एसीबी ज्वाइन पिछले 1-2 हफ्ते में की है।

सरकार सूत्रों के मुताबिक़, अभी तक सचिव स्तर से नीचे के ट्रान्सफर पोस्टिंग मामलों में एलजी का या गृह मंत्रालय का कोई रोल नहीं होता था। इसका बड़ा उदाहरण यह है कि दिल्ली में सरकार गठन के 15 दिन के भीतर ही उत्तर प्रदेश से दो एडीएम स्तर के अधिकारी प्रवीण मिश्रा और कपिल सिंह ने दिल्ली के सीएम और डिप्टी सीएम को ओएसडी के तौर पर ज्वाइन किया। इसमें क्योंकि काडर उत्तर प्रदेश का है इसलिये केंद्र या एलजी का कोई रोल नहीं होता और न ही उनको कोई आपत्ति हुई।

दिल्ली सरकार के मुताबिक़, ठीक इसी तरह इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारी की ट्रान्सफर पोस्टिंग दिल्ली सरकार के हाथ में थी जब तक कि केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन लाकर सभी स्तर के अधिकारियों की ट्रान्सफर पोस्टिंग के लिए एलजी को सर्वेसर्वा नहीं बताया था और जब मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट में न तो केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति की और न ही कोर्ट ने कोई आदेश दिया इसलिए फिलहाल वह अपने रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी।

नीतीश-केजरीवाल मुलाकात के दौरान बनी थी सहमति
माना जा रहा है कि बिहार से पुलिस अधिकारियों के लेने के लिए दिल्ली में नीतीश और केजरीवाल के बीच हुई मुलाकात के वक्त सहमति बनी थी।

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जानें क्यों है विवाद
पूरे मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो में दिल्ली पुलिस से अधिकारी लिए जाते  रहे हैं और सवाल यह भी है कि क्या इन नियुक्तियों से पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर से राय ली गई थी। आपको बता दें कि दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच पहले से ही अपने-अपने कार्यक्षेत्र को लेकर विवाद चल रहा है और एलजी के अधिकारों को लेकर गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन का मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।