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This Article is From May 27, 2014

हाईकोर्ट के कहने के बाद जमानत लेने को तैयार हुए अरविंद केजरीवाल

हाईकोर्ट के कहने के बाद जमानत लेने को तैयार हुए अरविंद केजरीवाल
नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जमानत के लिए बॉन्ड भरने को तैयार हो गए हैं। प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाईकोर्ट में यह जानकारी दी है।

इससे पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल को सलाह दी थी कि वह भाजपा नेता नितिन गडकरी की ओर से दायर मानहानि के मामले में जमानती मुचलका जमा करें।

न्यायमूर्ति कैलाश गम्भीर और न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता की पीठ ने कहा कि केजरीवाल जेल से बाहर आने के बाद जो चाहें वो कानूनी मुद्दा उठा सकते हैं और उन्हें इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।

न्यायधीशों ने केजरीवाल को सलाह दी कि वह जमानती मुचलका जमा करें। पीठ ने कहा कि उनकी ओर से उठाए गए कानूनी मुद्दों का भी अंतिम नतीजा यही रहने वाला है।

केजरीवाल ने तत्काल रिहाई की मांग के लिए दायर याचिका में यह मुद्दा उठाया है कि क्या समन के ऐसे मामले में जमानती मुचलका देना जरूरी है जब आरोपी उपस्थित होता है और उसके साथ उसका वकील भी हो।

याचिका में 21 और 23 मई के मजिस्ट्रेट के आदेशों के तहत केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को चुनौती दी गई है। केजरीवाल ने मुचलका जमा करने से इनकार किया था, जिसके बाद निचली अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा था।

केजरीवाल का पक्ष है कि इस मामले में जमानती मुचलका अनिवार्य नहीं है और उन्हें लिखित हलफनामा देने की इजाजत दी जानी चाहिए थी।

केजरीवाल ने वकील रोहित कुमार के जरिये दायर याचिका में कहा कि मजिस्ट्रेट का आदेश ‘गैरकानूनी’ है क्योंकि यह ‘कानून की पूरी तरह गलत प्रस्तावना’ पर आधारित है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पीठ ने सुझाव दिया कि केजरीवाल मुचलका जमा करें और जेल से बाहर आने के बाद फिर मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दें।

पीठ ने यह सवाल किया कि न्यायिक आदेश के खिलाफ केजरीवाल की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कैसे लागू हो सकती है।

केजरीवाल के वकील ने दलील दी कि आप नेता को हिरासत में लिया जाना पूरी तरह अवैध है क्योंकि सिर्फ हिरासत में लिए गए व्यक्ति को ही जमानती मुचलका जमा करने की जरूरत होती है।

गडकरी की वकील पिंकी आनंद ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का विरोध करते हुए कहा कि न्यायिक आदेश के खिलाफ इस तरह की याचिका विचारणीय नहीं है।

उन्होंने कहा कि कानून के तहत इस तरह के मामलों में हर व्यक्ति को अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती मुचलका जमा करने की जरूरत पड़ती है।

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