महात्मा गांधी ना तो कोई चिन्ह हैं न ही कोई काल्पनिक शख्सि‍यत : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महात्मा गांधी ना तो कोई चिन्ह हैं न ही कोई काल्पनिक शख्सि‍यत। वो हमारे राष्ट्रपिता हैं और उनका सम्मान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। जब गांधीजी की बात आती है तो जन भावनाओं का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। आप वैचारिक स्वतंत्रता के नाम पर गांधीजी के मुंह से कुछ भी नहीं कहलवा सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिपण्णी देते हुए उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया जिसमे गांधी पर लिखी कविता पर महाराष्ट्र में अश्लीलता फ़ैलाने का मामला दर्ज करने को चुनोती दी गयी है।

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल सुब्रमण्‍यम ने कहा कि कविता में गांधीजी के माध्यम से वयंग कहा गया है। ये फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन का मामला है। ऐसे में अश्लीलता का मामला नहीं बनाया जा सकता। वहीं इस केस के अमैकस क्यूरी फली नरीमन ने कहा कि सवतंत्रता के नाम पर राष्ट्रपिता के मुंह से कुछ भी कहलवाना ठीक नहीं है।

इस सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा ने उदाहरण के तौर पर एक कविता भी लिखी। उन्होंने कहा जब भी गांधी पर कुछ लिखा जाता है तो उस वक़्त जान भावनाओं का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। पूरे दिन चली सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया गया।

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गौरतलब है कि वसंत दत्तात्रेय गुर्जर नामक कवि ने 1984 में मराठी में गांधी माला भेटले कविता लिखी थी। 1994 में बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र की यूनियन की मैगज़ीन में इसे छापा गया। इसके बाद विवाद हुआ और पुलिस ने अश्लीलता फ़ैलाने का मामला दर्ज़ कर लिया। मैगज़ीन के एडिटर देवीदास रामचंद्र इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुचे हैं।