
खास बात यह है कि बशीर सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुखबिरी करता था पर इस बार उसने उन्हें धोखा दिया और पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ऐ-तैयबा की मदद की। सूत्रों ने बताया कि मीर ने आतंकवादियों को उरी से श्रीनगर आने तक का रास्ता बताया था। वह बारामूला जिले में नि
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सूत्रों ने बताया कि बुधवार को हुए हमले को अंजाम देने वाले फिदायीन की पहचान हैदर के रूप में की गई जो लाहौर से 180 किलोमीटर दूर साहीवाल का रहने वाला है। साथ ही दूसरे फिदायीन का नाम सैफ है जो डेरा गाजी खान का है।
इस पूरे मामले में दो लोग गिरफ्तार किए गए हैं। चट्टबल इलाके से 22 वर्षीय जुबैर उर्फ अबू तल्लाह उर्फ रियाज है। उसे तब गिरफ्तार किया गया जब वह एक स्थानीय व्यक्ति बशीर द्वारा मुहैया कराए गए सिम कार्ड से अपने आकाओं से बात कर रहा था।
जुबैर पाकिस्तान के मुल्तान का रहने वाला है। उसने पूछताछ के दौरान बताया कि उसने दो फिदायीन सुरक्षा बल के शिविर पर छोड़े थे। उन्होंने बशीर के साथ शिविर की टोह ली थी।
बेमिना में सीआरपीएफ शिविर पर हमले के कुछ घंटे बाद पुलिस के विशेष अभियान बल (एसओजी) ने बशीर अहमद मीर को पकड़ा था। इस हमले में बल के पांच जवान शहीद हो गए और कई अन्य घायल हुए थे। खुफिया सू़त्रों ने बताया कि मरे आतंकवादियों की डायरी में मीर का मोबाइल नंबर मिला था। इस नंबर का सुराग पाकर पुलिस ने मीर को हिरासत में लिया।
खास बात यह है कि बशीर सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुखबिरी करता था पर इस बार उसने उन्हें धोखा दिया और पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ऐ-तैयबा की मदद की। सूत्रों ने बताया कि मीर ने आतंकवादियों को उरी से श्रीनगर आने तक का रास्ता बताया था। वह बारामूला जिले में नियंत्रण रेखा के समीप उरी का रहने वाला है।
सूत्रों के मुताबिक मीर से पूछताछ के आधार पर जांचकर्ताओं ने कल शहर के चट्टबल इलाके से जुबैर को गिरफ्तार किया। वह भी इस हमले में शामिल था।
सूत्रों का कहना है कि मीर द्वारा किए गए खुलासे के आधार पर एसओजी की एक टीम उरी भेजी गई है तथा और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
जांचकर्ताओं के अनुसार लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकियों ने उरी को पार किया था जिसमें दो लौट गए और अन्य ने कश्मीर का रुख किया था।
श्रीनगर में रहने वाले बशीर ने तीनों के तंगमर्ग इलाके में आने का प्रबंध किया जहां सभी ने 11 मार्च को मुलाकात की। इसके बाद बशीर ने उनको टंकीपोरा इलाके में ले गया जहां से हमला करने के लिए उन्हें बेमिना के सीआरपीएफ शिविर ले जाया गया।
जुबैर ने बताया कि उसने अपनी गरीबी त्रस्त होकर आतंकी संगठन का साथ चुना था। सूत्रों ने बताया कि उसकी दो बहनें हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।
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