यह ख़बर 21 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सेना प्रमुख की जन्मतिथि का विवाद खत्म

खास बातें

  • सरकार ने जनरल वीके सिंह की जन्मतिथि 10 मई, 1950 मानी है और अब उन्हें अगले साल मई में सेवानिवृत्त होना है।
New Delhi:

सरकार ने सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की उम्र को लेकर कई महीनों से जारी विवाद पर पूर्ण विराम लगाते हुए उनकी जन्म तिथि 10 मई, 1950 मानी है और अब उन्हें अगले साल मई में सेवानिवृत्त होना है। सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने अटार्नी जनरल और कानून मंत्रालय की राय के आधार पर यह निर्णय लिया है और इस फैसले से सेना प्रमुख को गुरुवार को अवगत करा दिया गया। सर्विस रिकार्ड में सेना प्रमुख की दो जन्म तिथियों-10 मई, 1950 तथा 10 मई, 1951 का पता चलने के बाद यह विवाद खड़ा हुआ था। जहां सर्विस रिकार्ड में मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र में उनकी जन्मतिथि 10 मई, 1951 है, वहीं सेना में प्रवेश के लिए भरे गए यूपीएससी के आवेदन पत्र में उनकी जन्म तिथि 10 मई, 1950 लिखी है। सही जन्मतिथि का निर्धारण बहुत ही महत्वपूर्ण था, क्योंकि सेना प्रमुख के रूप में सिंह का कार्यकाल तीन साल का या 62 साल की उम्र तक होगा। अब मई, 1950 को उनकी जन्म तिथि मानने से उन्हें अगले साल मई में सेवानिवृत्त होना होगा, क्योंकि तब उनकी उम्र 62 हो जाएगी। सिंह ने दलील दी थी कि मई, 1951 को उनकी जन्म तिथि मानी जाए और उन्होंने इस सिलसिले में देश के तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीशों से समर्थन भी मांगा। विवाद के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने कानून मंत्रालय और अटार्नी जनरल की राय मांगी, जिन्होंने कहा था कि 10 मई, 1950 को (सही) जन्मतिथि माना जाए, क्योंकि यूपीएससी के फॉर्म में यही जन्मतिथि लिखी है। यदि कोई विसंगति होती तो उसे दो साल के अंदर सही कर लिया जाना चाहिए था। अब उम्मीद की जा रही है कि सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद उनका स्थान लेफ्टिनेंट जनरल विक्रम सिंह लेंगे जो उस समय वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल होंगे। जब विवाद बढ़ने लगा तब रक्षा मंत्रालय ने एक ही महीने के अंतराल पर अटार्नी जनरल से दो बार राय मांगी और दोनों ही बार उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख की जन्मतिथि 10 मई, 1950 मानी जानी चाहिए, क्योंकि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश के लिए भरे गए यूपीएससी के फॉर्म में यह दर्ज है। उनकी इस राय पर कानून मंत्रालय ने भी अपनी मुहर लगा दी। अटार्नी जनरल की राय उस राय से भिन्न थी, जो सेना ने दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जेएस वर्मा और न्यायमूर्ति जीबी पटनायक से स्वतंत्र एवं निजी राय मांगी थी। इन दोनों न्यायाधीशों ने कथित रूप से कहा था कि 10 मई, 1951 को सिंह की जन्मतिथि मानी जाए। सूत्रों ने कहा कि सेवानिवृत न्यायाधीशों से राय मांगने के सेना प्रमुख के कदम को रक्षा मंत्रालय ने पसंद नहीं की। दरअसल जब अटार्नी जनरल ने जब पहली बार कहा था कि 10 मई, 1950 की तिथि में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, क्योंकि इससे गंभीर कानूनी विवाद खड़े होंगे। सेना की एडजेटेंट जनरल शाखा ने पूर्व न्यायाधीशों की राय मांगी थी। पहली राय कानून मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी ने इस साल फरवरी में दी थी और कहा था कि सिंह की जन्मतिथि 10 मई, 1951 मानी जाए। बहरहाल, एक आरटीआई आवेदन में संयुक्त सचिव का यह फैसला सार्वजनिक हो गया।


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