सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने 1971 से पाकिस्तान की जेलों में बंद 54 भारतीय युद्धबंदियों की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए आज केन्द्र से सवाल किया, क्या वे अभी जीवित हैं? न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ के समक्ष विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा, हमें मालूम नहीं। हम यह मान रहे हैं कि उनका निधन हो गया है क्योंकि पाकिस्तान अपनी जेलों में उनकी मौजूदगी से इनकार करता आ रहा है।
सॉलिसीटर जनरल ने जवाब उस समय दिया जब पीठ ने सवाल किया, पहले हमें बताइये, उनकी स्थिति के बारे में आपकी क्या समझ है? क्या वे जीवित हैं या मर गये हैं? कोर्ट ने फिर केन्द्र से कहा कि इन युद्धबंदियों के आश्रितों को वेतन और सेवानिवृत्ति के लाभ दिए जाएं। इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि यह किया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय के हलफनामे के विवरण का हवाला देते हुए सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इन 54 लापता रक्षाकर्मियों की स्थिति के बारे में समझा जाता है कि वे पाकिस्तान की जेलों में हैं, सही स्थिति की जानकारी नहीं है। इन 54 कार्मियों में से भारतीय सेना के तीन कर्मियों के संबंध में कोई सेवा विवरण उपलब्ध नहीं है।
सॉलिसीटर जनरल ने जवाब उस समय दिया जब पीठ ने सवाल किया, पहले हमें बताइये, उनकी स्थिति के बारे में आपकी क्या समझ है? क्या वे जीवित हैं या मर गये हैं? कोर्ट ने फिर केन्द्र से कहा कि इन युद्धबंदियों के आश्रितों को वेतन और सेवानिवृत्ति के लाभ दिए जाएं। इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि यह किया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय के हलफनामे के विवरण का हवाला देते हुए सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इन 54 लापता रक्षाकर्मियों की स्थिति के बारे में समझा जाता है कि वे पाकिस्तान की जेलों में हैं, सही स्थिति की जानकारी नहीं है। इन 54 कार्मियों में से भारतीय सेना के तीन कर्मियों के संबंध में कोई सेवा विवरण उपलब्ध नहीं है।
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