अररिया मामला: SC ने काम बाधित करने के आरोप में जेल भेजी गईं सोशल वर्करों को दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच ने जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों तनवी और कल्‍याणी को अंतरिम जमानत दे दी है. दोनों को अररिया गैंगरेप मामले में अदालती कार्यवाही को बाधित करने के लिए जेल भेजा गया था.

अररिया मामला: SC ने काम बाधित करने के आरोप में जेल भेजी गईं सोशल वर्करों को दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने जन जागरण शक्ति संगठन की दोनों सदस्‍यों को अंतरिम जमानत दी (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • दोनों पर अदालती कार्यवाही बाधित करने का आरोप था
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आदेश पूरी तरह से अनुचित
  • इन दोनों को तुरंत रिहा करने को कहा है
नई दिल्ली:

Araria gang rape case:बिहार के अररिया में अदालत का कामकाज बाधित करने के आरोप में जेल भेजे जाने का मामले में जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच ने जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों तनवी और कल्‍याणी को अंतरिम जमानत दे दी है. दोनों को अररिया गैंगरेप मामले में अदालती कार्यवाही को बाधित करने के लिए जेल भेजा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को तुरंत रिहा करने को भी कहा है. न्‍यायमूर्ति मिश्रा ने मौखिक रूप से कहा कि यह आदेश पूरी तरह से अनुचित है जिसके द्वारा उन्हें हिरासत में भेजा गया था.

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मामले में दोनों सामाजिक कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व एडवोकेट वृंदा ग्रोवर (Advocate Vrinda Grover) ने किया.सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बिहार पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इससे पहले निचली अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को जमानत दे दी थी जबकि उनके दो सहयोगियों कल्याणी और तनवी की जमानत अस्वीकृत कर दी थी. दरअसल पीड़िता ने गैंगरैप की रिपोर्ट 7 जुलाई को अररिया महिला थाने में दर्ज कराईथी.महिला थाने में दर्ज FIR में जिक्र है कि मोटरसाइकिल सिखाने के बहाने उनको एक परिचित लड़के ने बुलाया. एफआईआर के मुताबिक, उसे एक सुनसान जगह ले जाया गया जहां मौजूद चार लोगों ने गैंगरेप किया.पीड़िता ने अपने परिचित से मदद मांगी लेकिन वो वहां से भाग गया.

इसके बाद पीड़िता अररिया में काम करने वाले जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों की मदद से अपने घर पहुंची
.हालांकि बाद में पीड़िता अपना घर छोड़कर जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों के साथ ही रहने लगी. 7 और 8 जुलाई को उसकी मेडिकल जांच हुई और 10 जुलाई को बयान दर्ज कराने के लिए पीड़िता को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में ले जाया गया. न्यायालय में जज  के कार्य में बाधा डालने एवं अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने के मामले को लेकर कोर्ट स्टॉफ ने महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई. जिसके बाद गैंगरेप की पीडिता सहित उनको जेल भेज दिया गया था.

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