खास बातें
- सीबीआई ने आंध्र प्रदेश के आबकारी मंत्री मोपीदेवी वेंकटरमना को गुरुवार को गिरफ्तार किया। वाईएसआर कांग्रेस नेता वाईएस जगनमोहन रेड्डी से सम्बंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है।
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आंध्र प्रदेश के आबकारी मंत्री मोपीदेवी वेंकटरमना को गुरुवार को गिरफ्तार किया। वाईएसआर कांग्रेस नेता वाईएस जगनमोहन रेड्डी से सम्बंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है।
वेंकटरमना राज्य के इतिहास में ऐसे पहले मंत्री हैं जिनकी अपने कार्यकाल के दौरान ही भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी हुई है। वह लगातार दूसरे दिन सीबीआई के सामने सुनवाई के लिए उपस्थिति हुए थे। तभी उनकी गिरफ्तारी हुई।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसी के दिलकुश गेस्ट हाउस स्थित शिविर कार्यालय में वेंकटरमना की गिरफ्तारी हुई। बाद में शाम तक उन्हें अदालत के सामने पेश किया जा सकता है।
वेंकटरमना इस मामले में गिरफ्तार चौथे आरोपी व पहले मंत्री हैं। जगन के पूछताछ के लिए सीबीआई के सामने उपस्थित होने से एक दिन पहले उनकी गिरफ्तारी हुई है।
वह दिवंगत वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के मंत्रिमंडल में अवसंरचना एवं निवेश मंत्री थे। उस समय रेड्डी के बेटे जगन के कारोबार में कुछ कम्पनियों के निवेश के बदले में उनका अनुचित पक्ष लिया गया।
सीबीआई ने वेंकटरमना के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र, लोक सेवक द्वारा अमानत में खयानत पहुंचाने व झूठे खाते बनाने के मामले दर्ज किए हैं।
उन्हें 2008 में वेनपिक परियोजना में भूमि आवंटन के कुछ सरकारी आदेश देने व अन्य रियायतें देने के मामले में गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया था और गुंटूर व प्रकासम जिलों में वेनपिक परियोजना के लिए 15,000 एकड़ भूमि आवंटन के सरकारी आदेश जारी करने से पहले वित्त व कानून विभागों की राय नहीं ली थी। साथ ही स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन अधिनियम के तहत परियोजना में छूट प्रदान की थी।
सीबीआई ने पिछले सप्ताह उद्योगपति एन. प्रसाद व नौकरशाह के.वी. ब्रह्मानंदा रेड्डी की गिरफ्तारी की थी।
प्रसाद वेनपिक के दो सहायकों में से एक हैं। उन्होंने कथिततौर पर जगन की कम्पनियों में 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया था। बदले में उन्हें जमीन व अन्य रियायतें मिली थीं।
वेंकटरमना ने मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी संग बुधवार रात व गुरुवार सुबह हुई बैठकों में अपने पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया। इसके बाद उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जा सकता है।