टाटा मोटर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यात्री वाहनों पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर में कमी का समर्थन किया है.अधिकारी का मानना है कि कटौती बीएस-6 उत्सर्जन मानकों को अपनाने से वाहनों की बढ़ी कीमत के असर को खत्म करने में सहायक होगी. टाटा मोटर्स के यात्री वाहन कारोबार इकाई के अध्यक्ष शैलेष चंद्र ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, ‘ वाहन की कीमत में कमी का लाभ अंतिम उपभोक्ता को भी होगा जो अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति की वजह से पहले ही कई तरह के दबाव झेल रहा है.''
उन्होंने कहा, ‘‘ बीएस-4 के बाद सीधे बीएस-6 अपनाने से लागत में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति में ग्राहक भविष्य में अपने वेतन या नौकरी को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं है.'' चंद्र ने कहा, ‘‘इसके भी ऊपर वाहनों की कीमत बढ़ रही है. यह निश्चित तौर पर उद्योग को गहरे तक असर करेगा. ऐसे में सरकार की ओर से जीएसटी की दर कोई भी कटौती समर्थन करने वाली होगी और यह बढ़ी हुई कीमतों को कुछ कम करने में मदद करेगी. इससे यात्री वाहन उद्योग को निश्चित तौर पर बढ़त मिलेगी.''
वह जीएसटी में कटौती से वाहन उद्योग को मिलने वाले लाभ से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे. उच्चतम न्यायालय के आदेश के चलते देश में एक अप्रैल 2020 के बाद से बीएस-6 वाहनों की ही बिक्री हो सकती है. ऐसे में भारतीय वाहन उद्योग ने बीएस-4 के स्थान पर बीएस-6 उत्सर्जन मानकों को अपनया है. वाहन कंपनियों ने इस बदलाव के अनुरूप अपने कारखानों और उत्पादों को तैयार करने पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. जबकि वाहन कलपुर्जा उद्योग को भी इसके लिए 30,000 करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ा है.
चंद्र ने कहा कि इस बदलाव के चलते कंपनियों की लागत कई गुना बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘‘ जीएसटी में कमी से ग्राहकों की मदद होगी जो अर्थव्यवस्था की हालत के चलते अपनी आय को लेकर अनिश्चित हैं और कम खरीदारी की भावना से गुजर रहे हैं. ऐसे में यह कटौती निश्चित तौर यात्री वाहन उद्योग के लिए मांग बढ़ाने में मदद गार होगी.''वर्तमान में वाहनों पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है. साथ ही एक प्रतिशत से लेकर 22 प्रतिशत तक का उपकर भी वाहनों की श्रेणी के अनुरूप लगता है.
इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर माहौल तैयार करने पर सरकार के प्रयासों से जुड़े एक सवाल के जवाब में चंद्र ने कहा, ‘‘ जहां तक सरकार का सवाल है तो जो भरोसा उन्होंने वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाने की दिशा में उठाए हैं वैसा दुनियाभर में बहुत ही कम सरकारों ने किया है. फेम योजना के तहत अच्छी खासी धनराशि खर्च की गयी है और चार्जिंग के बुनियादी ढांचे एवं अन्य शोध-विकास के लिए भी कोष उपलब्ध कराया गया है.'' उन्होंने कहा कि अब विनिर्माताओं की जिम्मेदारी है कि वह अपना उत्पादन बढ़ाएं.
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