आंध्र प्रदेश का विभाजन कर नए तेलंगाना राज्य के गठन के विरोध में आज संसद तक मार्च करने की कोशिश कर रहे तेलंगाना विरोधी नेता जगनमोहन रेड्डी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
एनडीटीवी को सूत्रों से पता चला है कि मंगलवार को तेलंगाना बिल संसद में पेश किया जाएगा और सरकार इसे पास कराने को लेकर प्रतिबद्ध है। सूत्रों ने बताया कि सदन में विरोध प्रदर्शन के चलते अगर इस विधेयक पर चर्चा नहीं भी हो पाती है, तो भी सरकार इसे पारित कराएगी।
हालांकि, बीजेपी ने इस प्रस्ताव को उचित चर्चा के बिना पारित करने के खिलाफ चेतावनी दी है, जिससे इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद बढ़ने की आशंका है।
इससे पहले राज्य के विभाजन के विरोध में धरना दे रहे वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर राजनीतिक लाभ के लिए राज्य को बांटने का आरोप लगाया।
जंतर मंतर पर अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे जगन ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ राज्य को विभाजित करने का विचार पेश किया, क्योंकि उसे उम्मीद है कि तेलंगाना में टीआरएस के सहयोग से वह कुछ सीटें जीत सकता है।
सोनिया गांधी के इतालवी मूल का संदर्भ देते हुए जगन मोहन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 'इतालवी राष्ट्रीय कांग्रेस' करार दिया और कहा "यहां तक कि अंग्रेजों ने भी वह नहीं किया, जो उन्होंने मेरे आंध्र प्रदेश राज्य में किया। उन्होंने कहा कि राज्य के विभाजन के विरोध में कांग्रेस के एक सांसद द्वारा संसद में काली मिर्च के पाउडर का उपयोग किया जाना वास्तव में सीमांध्र के सांसदों को निलंबित करने के लिए कांग्रेस का षडयंत्र था।
जगन मोहन रेड्डी ने आरोप लगाया, हंगामे के पीछे कांग्रेस का हाथ था। उन्होंने इसकी साजिश रची थी। उन्हें यह अच्छी तरह पता है कि व्यवहारिक तौर पर उन्हें सफलता नहीं मिलने वाली है, इसलिए उन्होंने यह किया। चुनाव से महीनों पहले उन्होंने मेरे राज्य को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अपनी आवाज उठाने के लिए सीमांध्र के सांसदों को अलोकतांत्रिक तरीके से निलंबित कर दिया गया। सत्तारूढ़ दल तेलंगाना के गठन के लिए विधेयक को बिना बहस कराए पारित करना चाहता था।
वाईएसआर कांग्रेस के नेता ने कहा कि वह भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी सहित किसी का भी समर्थन करेंगे, बशर्ते वह आंध्रप्रदेश को एकीकृत रखने के कदम का समर्थन करे। जगन ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर राज्य को एकीकृत रखने के लिए उनका समर्थन मांगा।
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