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This Article is From Aug 18, 2011

अन्ना आज सुबह आएंगे तिहाड़ जेल से बाहर

नई दिल्ली: अन्ना हजारे शुक्रवार सुबह 10-11 बजे के बीच तिहाड़ से बाहर आएंगे। रामलीला मैदान की हालत को देखते हुए अन्ना हजारे ने ये फैसला किया। वह पिछले तीन दिन से अनशन पर हैं। दिल्ली पुलिस ने उन्हें रामलीला मैदान में 15 दिन के अनशन की इजाजत दी है। लेकिन फिलहाल मैदान पूरी तरह तैयार नहीं है, इसलिए अन्ना गुरुवार को भी तिहाड़ में रहे। अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने बताया कि उन्हें डीसी ने ये आश्वासन दिया है कि जरूरत पड़ने पर अनशन की समयसीमा बढ़ाई जा सकती है। वहीं केंद्रीय गृहसचिव ने कहा है कि अन्ना को अनशन की इजाजत शर्तों  के साथ दी गई है। अन्ना की शर्तों के आगे झुकने के साथ ही दिल्ली पुलिस ने जेपी पार्क और रामलीला मैदान के आसपास के इलाकों से धारा 144 हटा ली है। अन्ना 16 मार्च से जेपी पार्क पर अनशन करने वाले थे, लेकिन 15 अगस्त को सुरक्षा कारणों से जेपी पार्क, शहीद पार्क, प्रेस एरिया और आसपास के इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई थी। हालांकि इसका खास मकसद अन्ना हजारे को जेपी पार्क में अनशन करने से रोकना था। लेकिन अब धारा 144 को हटा ली गई है। अन्ना के रण का अगला ठिकाना रामलीला मैदान अब अनशन के लिए तैयार हो रहा है। अन्ना के अनशन के लिए यहां तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। मैदान में साफ-सफाई का काम चल रहा है। पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से यहां कई जगह पानी भर गया है, जिसे भरने का काम जारी है। दिल्ली के डिप्टी मेयर ने वादा किया है कि गुरुवार शाम तक टीम अन्ना को पूरा मैदान तैयार होकर मिल जाएगा। अनशन के लिए रामलीला मैदान का नाम तय होते ही लोग यहां जुटने लगे। हालांकि मैदान अभी पूरी तरह तैयार नहीं है, लेकिन अन्ना मुहिम में शामिल होने के लिए लोग मैदान में पहुंचने लगे। अन्ना हजारे तिहाड़ में हैं और वहां वह जेल के डॉक्टरों की निगरानी में हैं, लेकिन जेल से बाहर आने के बाद जब वह रामलीला मैदान में अनशन पर बैठेगें, तो उनकी सेहत पर नजर रखने के लिए डॉक्टर नरेश त्रेहन अपनी टीम के साथ मौजूद होंगे। यह जानकारी टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के बाद दी। डॉक्टर नरेश त्रेहन इस समय मल्टी सुपर स्पेशियलिटी मेडिकल इंस्टीटूट मेदांता के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। इससे पहले वह 2007 से 2009 तक दिल्ली के अपोलो अस्पताल में थे और उससे पहले 20 सालों तक एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीटूट में एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर रहे। अन्ना के आंदोलन पर भारत ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया की भी नजर हैं। 'द टाइम' मैगजीन ने लिखा है कि एक अकेले सामाजिक कार्यकर्ता ने किस तरह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। 'टाइम्स' मैगजीन ने आंदोलन से निपटने के सरकार के कदम की आलोचना भी की है। 'द गार्जियन' ने भी अन्ना के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। अखबार का कहना है कि अन्ना पर कहर का मतलब क्या है…'द इकोनॉमिस्ट' ने अन्ना को जेल भेजने पर सवाल उठाए हैं, वहीं रॉयटर्स ने कहा है कि अन्ना का ये आंदोलन कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है।

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