नई दिल्ली:
भारी बारिश के बीच तिहाड़ जेल से मायापुरी और फिर राजघाट से सीधे रामलीला मैदान तक का सफर करीब तीन घंटे में पूरा करने के बाद अन्ना ने कहा, अंग्रेजों के जाने के साथ ही हमें आजादी मिली, लेकिन देश से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ।...यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। यह एक क्रांति की शुरुआत है। देश के सभी लोगों ने ये मशाल जलाई है। इसे कभी बुझने नहीं दें। चाहे मैं रहूं या ना रहूं...मशाल जलती रहे। उन्होंने कहा, हमें सिर्फ लोकपाल ही नहीं, बल्कि पूरा परिवर्तन लाना है। देश में गरीबों को न्याय मिले, ऐसा बदलाव लाना है। हजारे ने कहा, जब तक जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं होगा, तब तक हम रामलीला मैदान नहीं छोड़ेंगे।अन्ना ने कहा कि जिस तरह जापान राख के ढेर से फिर उठ खड़ा हुआ। हमें भी उसी तरह उठना है। अगर देश का युवा जाग गया, तो इस देश का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि जिन गद्दारों ने इस देश को लूटा है, हम उन्हें बर्दाश्त नहीं करेंगे। इससे पहले, अपने अनशन का चौथा दिन होने के बावजूद तंदरूस्त नजर आ रहे अन्ना ने जेल परिसर से बाहर निकलने के बाद वहां लंबे समय से प्रतीक्षारत अपने समर्थकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के दूसरे संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है। जब हजारे जेल परिसर से बाहर आए तो उनके साथ पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। वह 67 घंटे तिहाड़ जेल में रहे। जेल परिसर के बाहर एक छोटा मंच बनाया गया, ताकि वह अपने समर्थकों को संबोधित कर सकें। बीते मंगलवार सुबह पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन जब सरकार ने उनकी बिना शर्त रिहाई के आदेश दिये, तब भी उन्होंने बाहर आने से इनकार कर दिया। अपने संक्षिप्त भाषण में उन्होंने घोषणा की कि उनके आंदोलन का मकसद देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है। जुलूस के लिए एक छोटे ट्रक पर सवार होने से पहले उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे हिंसा नहीं करें और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएं। बारिश के बावजूद हजारे के साथ जुलूस तिहाड़ जेल से राजघाट की ओर बढ़ता रहा। राजघाट पहुंच कर हजारे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। वहां भी बड़ी तादाद में उनके समर्थक जमा थे। उनका इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति जाने का कार्यक्रम था, लेकिन वह राजघाट से सीधे रामलीला मैदान पहुंच गए। उनके जुलूस और रामलीला मैदान तक भारी बारिश होती रही, लेकिन उनका और उनके समर्थकों का उत्साह कम नहीं हुआ। गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा, चार दिन में मेरा वजन तीन किलोग्राम कम हो गया है। लेकिन आप लोग जो आंदोलन चला रहे हैं, उससे मुझे ऊर्जा मिल रही है। वजन चाहे 10 किलोग्राम भी कम क्यों नहीं हो जाए, हमारा जोश कम नहीं होगा।(इनपुट एजेंसियों से भी)
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