नए सीबीआई निदेशक अनिल सिन्हा से जब सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को कोर्ट द्वारा आरोपमुक्त किए जाने को लेकर सवाल पूछे गए, तो वह मीडिया को ही पाठ पढ़ाने लगे।
सीबीआई ने नए साल में सभी बीट के पत्रकारों को चाय पर बुलाया था और वे सब जानना चाहते थे कि क्या सीबीआई अमित शाह के खिलाफ अपील दायर करेगी, लेकिन अनिल सिन्हा पत्रकारों के इन सभी सवालों से बचते रहे। उन्होंने न इस बात का कोई जवाब दिया कि सीबीआई ने सिर्फ 45 मिनट ही बहस क्यों की, और न इस बात का कि सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई को पिंकी आनंद, जो बीजेपी प्रवक्ता रह चुकी हैं, ने क्यों रिप्रेजेंट किया।
लगातार सवाल पूछे जाने पर अनिल सिन्हा ने कहा, "आप मुझसे केस की बारीकियों के बारे में पूछ रहे हैं, वे मैं कैसे बता दूं...?" दिलचस्प बात यह रही कि इसके बाद निदेशक साहब ने 'कानून' फिल्म में इस्तेमाल की गई एक दलील भी दे डाली, और कहा, "उस पूरी फिल्म में बहस कुछ मिनट हुई, लेकिन फैसला हो गया..." इसके बाद भी जब पत्रकार लगातार जवाब के लिए ज़ोर देते रहे, उन्होंने टका-सा जवाब दिया, "मुझे ज़्यादा सवालों के जवाब देने की आदत नहीं, मैं सवाल पूछता हूं..."
यहां यह बताना जरूरी है कि सीबीआई निदेशक बनने से पहले भी अनिल सिन्हा ही सोहराबुद्दीन मामला देख रहे थे, सो, जिन बारीकियों के बारे में बात करने से वह बच रहे थे, उन सबसे वह अच्छी तरह वाकिफ हैं।
वैसे भी, हाल ही के वक्त में सीबीआई की लगभग हर मामले में आलोचना होती रही है, तो ऐसे में नए निदेशक को अपनी छवि पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन सीबीआई निदेशक साहब मीडिया को पाठ पढ़ाने में लगे रहे।
उल्लेखनीय है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सोहराबुद्दीन मामले में आरोपमुक्त करार दिए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन सीबीआई आज तक रटा-रटाया जवाब ही दे रही है, और यह तक नहीं कह पा रही है कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेगी... यानि, तोता अब भी पिंजरे में ही है...
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