एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्यों का लोकसभा और विधानसभाओं में नामांकन अब बंद हो जाएगा. यह 25 जनवरी 2020 तक वैध था, लेकिन अब इसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. बुधवार को एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षण और दस वर्ष के लिए बढ़ाने के बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. यह संविधान के अनुच्छेद 334 (ए) में है, जबकि एंग्लो इंडियन वर्ग के लिए मनोनयन 334 (बी) में है.
लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के दो लोगों का मनोनयन होता है . कई विधानसभाओं में भी मनोनयन का प्रावधान था जो अब खत्म हो जाएगा. एंग्लो इंडियन समुदाय की संख्या अब बेहद कम रह गई है. एंग्लो इंडियन का तात्पर्य उन भारतीयों से है जो ब्रिटिश मूल के नागरिक हैं.
कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए सीटें आरक्षित नहीं होंगी. लोकसभा की 545 सीटों हैं जिसमें से दो एंग्लो इंडियन वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इन दो सीटों पर सरकार इस समुदाय के दो सदस्यों का नामांकन करती है. अब यह नामांकन नहीं होगा.
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मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने को स्वीकृति दे दी है. लोकसभा और प्रदेशों की विधानसभाओं में एससी-एसटी आरक्षण को बढ़ाने के लिए अब संसद में विधेयक लाया जाएगा. यह बिल पास होने के बाद इस आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2030 तक बढ़ जाएगी. यह आरक्षण भी 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाला था.
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