यह ख़बर 04 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

विजयवाड़ा क्षेत्र में होगी आंध्र प्रदेश की नई राजधानी, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने किया ऐलान

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू

हैदराबाद:

आंध्र प्रदेश की नई राजधानी विजयवाड़ा क्षेत्र में होगी। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य विधानसभा में इसकी घोषणा कर दी है।

नायडू ने विधानसभा में बताया कि सरकार ने राज्य के मध्य हिस्से में विजयवाड़ा के पास राजधानी विकसित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में निर्णय 1 सितंबर को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने यह कहकर चंद्रबाबू नायडू के फैसले का विरोध किया है कि उन्होंने इस मुद्दे पर उनसे परामर्श नहीं लिया। नायडू ने कहा कि मंत्रिमंडल ने नई राजधानी बनाने के लिए लैंड पुलिंग सिस्टम का निर्णय लिया है। यह प्रणाली मंत्रिमंडल की उपसमिति के जरिये काम करेगी।

मुख्यमंत्री ने 20 पन्नों के बयान में राजधानी के चुनाव का यह कहकर बचाव किया कि विजयवाड़ा राज्य के बिल्कुल बीच में स्थित है और यह सभी जिलों की पहुंच में है। राज्य के तीनों क्षेत्रों के विकास के लिए उन्होंने सरकार द्वारा प्रस्तावित उपायों की घोषणा की।

विजयवाड़ा हैदराबाद से 300 किलोमीटर दूर और कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाला शहर विजयवाड़ा राज्य का बृहद व्यवसायिक केंद्र है। पिछले कुछ महीनों में राजधानी बनाए जाने की आशाओं के बीच इस इलाके में ज़मीनों के दाम आसमान छूने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि जून में आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर एक नया राज्य तेलंगाना बनाया गया था। व्यवस्था थी कि वर्ष 2024 तक हैदराबाद दोनों राज्यों की राजधानी बनाए रखा जा सकता है, और उसके बाद आईटी हब के रूप में मशहूर हैदराबाद नए राज्य तेलंगाना को सौंप दिया जाएगा।

लगभग एक दशक पहले हैदराबाद को 'सिलिकॉन वैली' जैसा बनाने का श्रेय मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को दिया जाता है, और उन्होंने नए राज्य के गठन पर वचनबद्धता जताई थी कि वह सिंगापुर की तर्ज पर एक 'सुपर कैपिटल' का निर्माण करेंगे। कई सप्ताह तक वह संकेत देते रहे कि नई राजधानी शक्तिशाली तथा प्रभावी कम्मा समुदाय के इलाके विजयवाड़ा के निकट होगी।

हालांकि केंद्र द्वारा राजधानी के लिए एक उचित शहर की पहचान में सहायता के लिए नियुक्त एक समिति का कहना है कि विजयवाड़ा और गुंटूर के आसपास हज़ारों एकड़ ज़मीन कहीं नहीं है, जिसकी आवश्यकता राजधानी बनाने के लिए होगी। समिति ने चेताया था कि यहां की उपजाऊ कृषिभूमि का अधिग्रहण काफी कठिन और महंगा साबित होगा।

चंद्रबाबू नायडू की इस कथित पसंद का सबसे कड़ा विरोध जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस की ओर से किया गया, जिसका रायलसीमा इलाके में काफी प्रभुत्व है। वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि चंद्रबाबू नायडू की तेलुगूदेशम पार्टी के एक सदस्य ने विजयवाड़ा के निकट काफी बड़ी ज़मीन खरीदी हुई है, और वही मुख्यमंत्री को प्रभावित कर रहे हैं। जगनमोहन रेड्डी ने चेतावनी दी थी कि वह मुख्यमंत्री के एकतरफा फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना था कि नई राजधानी को लेकर गुरुवार को विधानसभा में बहस और वोटिंग करवाई जाए।

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उधर, आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने राज्य को 'समृद्ध' बनाने और वर्ष 2022 तक उसे देश के शीर्ष तीन राज्यों में शुमार करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है। आंध्र प्रदेश को 'हवाई और समुद्री केंद्र' के रूप में विकसित करने तथा राज्य के आर्थिक विकास में वृद्धि की दिशा में सरकार ने कई कार्यक्रमों को अपने एजेंडे में शामिल किया है।

सरकार के मुख्य एजेंडे में 14 छोटे-बड़े तटों का विकास, समुद्री गतिविधियों के मोर्चे में सिंगापुर के बराबर आना, तीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और 14 घरेलू हवाई अड्डों का विकास, तीन 'मेगा शहरों' एवं 11 'स्मार्ट शहरों' के अलावा 28 विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) का विकास जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। राज्य में अंतर-देशीय जलमार्गों का निर्माण और तटीय शहर काकीनाडा को पुदुच्चेरी के साथ जोड़ने वाले 'राष्ट्रीय जलमार्ग' की योजना इस महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा हैं।

आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद राज्य के पुनर्निर्माण को लेकर राज्य के लिए जरूरी पांच 'ग्रिड' और सात 'अभियानों' को शामिल किया गया है। सरकार द्वारा जिन पांच ग्रिडों पर विचार किया जा रहा है, उनमें जल, ऊर्जा, राजमार्ग, गैस और फाइबर ऑप्टिक शामिल हैं। सात अभियानों में प्राथमिक क्षेत्र, सामाजिक सशक्तिकरण, क्षमता और ज्ञान का विकास, शहरों का विकास, उद्योग क्षेत्र व बुनियादी ढांचा का विकास शामिल हैं। सरकार द्वारा विकास योजनाओं को अमल में लाना, रोजगार के अवसरों का सृजन और गरीबी दूर करने के लिए अभियानों पर विशेष जोर होगा।

(इनपुट एजेंसियों से भी)