रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते पैदा हुए हालात के बीच आज से 22 अप्रैल तक सेना का कमांडर कॉन्फ्रेंस (Commanders' Conference) शुरू होने जा रहा है. सेना के टॉप कमांडर, चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का भी जायज़ा लेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 21 अप्रैल को सेना के शीर्ष कमांडरों को संबोधित करेंगे. बताते चलें कि सेना का कमांडर कांफ्रेंस साल में दो बार अप्रैल और अक्टूबर माह में आयोजित होता है.
इसमे सेना के टॉप कमांडर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े तमाम मसलों पर चर्चा करने के साथ उससे उपजे हालात पर समीक्षा करते हैं. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पिछले दो साल से जारी तनाव में कुछ कमी तो आई है पर दोनो देशों की सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं . सीमा पर चीन ने 50 हज़ार से ज़्यादा सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है वही पाकिस्तान भी सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ कराने से बाज नही आ रहा है.
अधिकारियों ने रविवार को बताया कि यूक्रेन में युद्ध का क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ-साथ सैन्य पहलुओं पर पड़ने वाले संभावित असर पर विस्तृत विचार-विमर्श करने की योजना बनाई गई है. उन्होंने बताया कि पूर्वी लद्दाख के कुछ स्थानों पर चीन के साथ उत्पन्न गतिरोध के बीच सेना के कमांडर चीन के साथ लगती 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा करेंगे. उल्लेखनीय है कि यह सेना कमांडर का आखिरी सम्मेलन होगा जिसकी अध्यक्षता जनरल नरवणे करेंगे, क्योंकि उनका कार्यकाल इस महीने के आखिर में समाप्त हो रहा है. (भाषा इनपुट के साथ)
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