प्रतीकात्मक तस्वीर
लेह:
लद्दाख के डेमचोक में चीन के सीमा सुरक्षा बलों के ‘विरोध’ से अविचलित सेना के इंजीनियरों ने लद्दाख संभाग में स्थानीय ग्रामीणों के लिए सिंचाई के उद्देश्य से पानी पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया है. इस पाइपलाइन को लेकर इस हफ्ते की शुरुआत में चीन और भारत के सैनिकों के बीच आमना-सामना की स्थिति बन गई थी.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीन ने इस बार डेमचोक में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स (पीएपीएफ) को तैनात किया था जबकि सामान्य तौर पर इसके लिए पीएलए को वह तैनात करता है. चीनी बल सीमा पर इस बार शुक्रवार को प्लास्टिक के शिविर डालने आए थे लेकिन सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया.
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच तीन दिनों तक आमना-सामना की स्थिति रही और शनिवार शाम यह खत्म हुई. वहीं सेना के इंजीनियरों ने पीएपीएफ की चेतावनी की अनदेखी करते हुए डेमचोक में ग्रामीणों के लिए सिंचाई उद्देश्य से करीब एक किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाना जारी रखा. यह इलाका लेह से 250 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.
सूत्रों के मुताबिक दौलत बेग ओल्डी में 2013 में एक पखवाड़े तक चले गतिरोध के बाद सेना और आईटीबीपी द्वारा ‘सक्रिय गश्ती’ का फॉर्मूला अपनाने का काफी फायदा हुआ है और चीनी लद्दाख सेक्टर में घुसपैठ करते समय काफी सतर्क रहते हैं.
सूत्रों ने कहा कि इस बार सेना और आईटीबीपी के जवानों ने पीएपीएफ के सुरक्षा बलों को शिविर डालने की अनुमति नहीं दी और उन्हें एक किलोमीटर दूर स्थित अपने आधार शिविर में सामान वापस ले जाने को बाध्य कर दिया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीन ने इस बार डेमचोक में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स (पीएपीएफ) को तैनात किया था जबकि सामान्य तौर पर इसके लिए पीएलए को वह तैनात करता है. चीनी बल सीमा पर इस बार शुक्रवार को प्लास्टिक के शिविर डालने आए थे लेकिन सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया.
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच तीन दिनों तक आमना-सामना की स्थिति रही और शनिवार शाम यह खत्म हुई. वहीं सेना के इंजीनियरों ने पीएपीएफ की चेतावनी की अनदेखी करते हुए डेमचोक में ग्रामीणों के लिए सिंचाई उद्देश्य से करीब एक किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाना जारी रखा. यह इलाका लेह से 250 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.
सूत्रों के मुताबिक दौलत बेग ओल्डी में 2013 में एक पखवाड़े तक चले गतिरोध के बाद सेना और आईटीबीपी द्वारा ‘सक्रिय गश्ती’ का फॉर्मूला अपनाने का काफी फायदा हुआ है और चीनी लद्दाख सेक्टर में घुसपैठ करते समय काफी सतर्क रहते हैं.
सूत्रों ने कहा कि इस बार सेना और आईटीबीपी के जवानों ने पीएपीएफ के सुरक्षा बलों को शिविर डालने की अनुमति नहीं दी और उन्हें एक किलोमीटर दूर स्थित अपने आधार शिविर में सामान वापस ले जाने को बाध्य कर दिया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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