नई दिल्ली:
दिल्ली में पिछले महीने के सामूहिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई एक स्थानीय अदालत में सोमवार को शुरू हुई लेकिन अदालत कक्ष में भारी भीड़ जुटने के कारण अफरा-तफरी मच गई। इस कारण आरोपियों को पेश नहीं किया जा सका।
इसके बाद अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई का आदेश दिया और मीडिया से भी कहा कि वह अनुमति के बगैर इस मामले से सम्बंधित कोई खबर प्रकाशित न करे। मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
महानगर दंडाधिकारी नमृता अग्रवाल ने कहा, "बार एसोसिएशन के सदस्य और आमजन जो इस मामले से जुड़े नहीं हैं, वे भी अदालत की कक्ष में जुटने लगे जिससे अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई।" उन्होंने कहा कि अदालत कक्ष खचाखच भर गया है। कोलाहल के कारण कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इसलिए लोगों से अपील की जाती है कि वे बाहर प्रतीक्षा करें और बिना व्यवधान के कार्यवाही चलने दें, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया।
नमृता के अनुसार, भीड़ ने अदालत कक्ष में एक-एक इंच जगह पर कब्जा जमा लिया। इतनी जगह भी नहीं बची कि रीडरों और स्टेनोग्राफर को जगह मिल पाती। उन्होंने कहा, "ऐसे में मामले की कार्यवाही असंभव हो गया है ..लॉकअप प्रभारी का कहना था कि आरोपियों को अदालत के समक्ष पेश करने के लिए वह सुरक्षित जगह चाहते हैं।"
बंद कमरे में कार्यवाही के लिए अपराध प्रक्रिया संहिता लागू करते हुए दंडाधिकारी ने सरकारी वकील के इस कथन का हवाला दिया कि उन्हें आरोपियों की सुरक्षा को लेकर आशंका है।
अभियोजन पक्ष ने भी बंद कमरे में कार्यवाही के लिए एक आवेदन दिया। स्थिति को ध्यान में रखते हुए नमृता ने अनुरोध स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, "पूछताछ सहित सुनवाई की कार्यवाहियां बंद कमरे में चलाई जा सकती हैं। इसलिए आरोपियों, सरकारी वकील और जांच अधिकारी को छोड़कर आमजन और बार एसोसिएशन के सभी सदस्यों को अदालत कक्ष खाली करने का निर्देश दिया जाता है।"
दंडाधिकारी ने कहा, "मैं अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 327 (3) लागू करती हूं, इसलिए अदालत की अनुमति के बगैर इस मामले से सम्बंधित किसी खबर को प्रकाशित या प्रसारित करना न्याय संगत नहीं होगा।"
इस बीच, अदालत ने इस मामले में सलाहाकर नियुक्त गए कुछ वकीलों द्वारा दायर आवेदनों को रिकार्ड में दर्ज कर लिया।
अदालत ने निर्देश दिया कि वे आरोपियों से संपर्क करें और उनके दस्तखत लें। इसके बाद मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
23 वर्षीया युवती के साथ दुष्कर्म के छह में से पांच आरोपियों को यहां की साकेत जिला अदालत परिसर में लाया गया लेकिन अदालत कक्ष में काफी भीड़ हो जाने के कारण उन्हें महानगर दंडाधिकारी के समक्ष पेश नहीं किया जा सका।
छठा आरोपी जिसने अपने स्कूल प्रमाणपत्र के अनुसार अपनी उम्र 17 वर्ष और छह माह बताई है, उसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा।
अदालत कक्ष के भीतर सुरक्षा के लिए लगभग 40 सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए थे।
इस बीच यह विवाद भी उठा कि पांच आरोपियों का बचाव कौन करेगा। इन आरोपियों पर फीजियोथेरेपी में इंटर्नशिप करने वाली युवती के साथ 16 दिसम्बर को चलती बस में दुष्कर्म और यंत्रणा देने का आरोप है। बुरी तरह घायल पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में 29 दिसम्बर को मौत हो चुकी है।
कुछ वकीलों ने सोमवार को कहा कि वे आरोपियों की ओर से पेश होना चाहते हैं लेकिन अन्य ने इस पर क्षोभ प्रकट किया।
एक अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि आरोपियों के परिजनों ने उनसे संपर्क किया था और उनका बचाव करने को कहा था।
अधिवक्ता ने कहा, "आरोपियों के परिजनों ने मुझसे संपर्क किया था। वकालतनामा पर दस्तखत करवाने के लिए यहां मुझे उनसे मिलने की इजाजत मिलनी चाहिए।"
इसपर न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें आरोपियों से यहां मिलने की इजाजत नहीं दी जाएगी, कागजात पर दस्तखत करवाने के लिए वह तिहाड़ जेल में जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में हुई इस भयानक घटना से देशभर के लोग आक्रोशित हैं। समूचे देश में व्यापक प्रदर्शन हुआ। मुख्य रूप से दिल्ली एवं कई प्रमुख शहरों में अभी भी प्रदर्शन जारी है।
इसके बाद अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई का आदेश दिया और मीडिया से भी कहा कि वह अनुमति के बगैर इस मामले से सम्बंधित कोई खबर प्रकाशित न करे। मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
महानगर दंडाधिकारी नमृता अग्रवाल ने कहा, "बार एसोसिएशन के सदस्य और आमजन जो इस मामले से जुड़े नहीं हैं, वे भी अदालत की कक्ष में जुटने लगे जिससे अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई।" उन्होंने कहा कि अदालत कक्ष खचाखच भर गया है। कोलाहल के कारण कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इसलिए लोगों से अपील की जाती है कि वे बाहर प्रतीक्षा करें और बिना व्यवधान के कार्यवाही चलने दें, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया।
नमृता के अनुसार, भीड़ ने अदालत कक्ष में एक-एक इंच जगह पर कब्जा जमा लिया। इतनी जगह भी नहीं बची कि रीडरों और स्टेनोग्राफर को जगह मिल पाती। उन्होंने कहा, "ऐसे में मामले की कार्यवाही असंभव हो गया है ..लॉकअप प्रभारी का कहना था कि आरोपियों को अदालत के समक्ष पेश करने के लिए वह सुरक्षित जगह चाहते हैं।"
बंद कमरे में कार्यवाही के लिए अपराध प्रक्रिया संहिता लागू करते हुए दंडाधिकारी ने सरकारी वकील के इस कथन का हवाला दिया कि उन्हें आरोपियों की सुरक्षा को लेकर आशंका है।
अभियोजन पक्ष ने भी बंद कमरे में कार्यवाही के लिए एक आवेदन दिया। स्थिति को ध्यान में रखते हुए नमृता ने अनुरोध स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, "पूछताछ सहित सुनवाई की कार्यवाहियां बंद कमरे में चलाई जा सकती हैं। इसलिए आरोपियों, सरकारी वकील और जांच अधिकारी को छोड़कर आमजन और बार एसोसिएशन के सभी सदस्यों को अदालत कक्ष खाली करने का निर्देश दिया जाता है।"
दंडाधिकारी ने कहा, "मैं अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 327 (3) लागू करती हूं, इसलिए अदालत की अनुमति के बगैर इस मामले से सम्बंधित किसी खबर को प्रकाशित या प्रसारित करना न्याय संगत नहीं होगा।"
इस बीच, अदालत ने इस मामले में सलाहाकर नियुक्त गए कुछ वकीलों द्वारा दायर आवेदनों को रिकार्ड में दर्ज कर लिया।
अदालत ने निर्देश दिया कि वे आरोपियों से संपर्क करें और उनके दस्तखत लें। इसके बाद मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
23 वर्षीया युवती के साथ दुष्कर्म के छह में से पांच आरोपियों को यहां की साकेत जिला अदालत परिसर में लाया गया लेकिन अदालत कक्ष में काफी भीड़ हो जाने के कारण उन्हें महानगर दंडाधिकारी के समक्ष पेश नहीं किया जा सका।
छठा आरोपी जिसने अपने स्कूल प्रमाणपत्र के अनुसार अपनी उम्र 17 वर्ष और छह माह बताई है, उसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा।
अदालत कक्ष के भीतर सुरक्षा के लिए लगभग 40 सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए थे।
इस बीच यह विवाद भी उठा कि पांच आरोपियों का बचाव कौन करेगा। इन आरोपियों पर फीजियोथेरेपी में इंटर्नशिप करने वाली युवती के साथ 16 दिसम्बर को चलती बस में दुष्कर्म और यंत्रणा देने का आरोप है। बुरी तरह घायल पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में 29 दिसम्बर को मौत हो चुकी है।
कुछ वकीलों ने सोमवार को कहा कि वे आरोपियों की ओर से पेश होना चाहते हैं लेकिन अन्य ने इस पर क्षोभ प्रकट किया।
एक अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि आरोपियों के परिजनों ने उनसे संपर्क किया था और उनका बचाव करने को कहा था।
अधिवक्ता ने कहा, "आरोपियों के परिजनों ने मुझसे संपर्क किया था। वकालतनामा पर दस्तखत करवाने के लिए यहां मुझे उनसे मिलने की इजाजत मिलनी चाहिए।"
इसपर न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें आरोपियों से यहां मिलने की इजाजत नहीं दी जाएगी, कागजात पर दस्तखत करवाने के लिए वह तिहाड़ जेल में जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में हुई इस भयानक घटना से देशभर के लोग आक्रोशित हैं। समूचे देश में व्यापक प्रदर्शन हुआ। मुख्य रूप से दिल्ली एवं कई प्रमुख शहरों में अभी भी प्रदर्शन जारी है।
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