स्मृति ईरानी का दावा है कि उन्होंने दिल्ली के होली चाइल्ड ऑक्जिलियम स्कूल से परीक्षा पास की थी
नई दिल्ली:
केंद्रीय सूचना आयोग (सीवीसी) ने सीबीएसई से कहा है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के 10वीं और 12वीं कक्षा के रिकॉर्ड की जांच की इजाजत दी जाए. सीवीसी ने सीबीएसई के इस तर्क को खारिज कर दिया है कि यह निजी जानकारी है. सीवीसी ने कपड़ा मंत्रालय और दिल्ली के होली चाइल्ड ऑक्जीलियम स्कूल (जहां ईरानी ने पढ़ाई की) से भी कहा है कि वह उनका रोल नंबर सीबीएसई को दे. ईरानी ने 1991 में यहां से 10वीं और 1993 में 12वीं पास की थी.
यह आदेश सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलू ने दिया और कहा कि आदेश मिलने के 60 दिन के भीतर यह जानकारी उपलब्ध कराई जाए. आचार्युलू हाल में दिल्ली विश्वविद्यालय में 1978 बैच के बीए के सभी छात्रों की डिग्री सार्वजनिक करने का आदेश देने से विवादों में आए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1978 में ही डीयू से बीए किया था. इस आदेश के बाद आचार्युलू से एचआरडी मंत्रालय का कार्यभार ले लिया गया था.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यालु ने अपने आदेश में कहा, 'आयोग ने सीबीएसई को निर्देश दिया है कि वह उन संबद्ध रिकॉर्डों के निरीक्षण में मदद करे और अर्जीकर्ता ने जिन दस्तावेजों का चयन किया है उनकी प्रतियां इस आदेश के प्राप्त होने के 60 दिनों के अंदर मुफ्त में मुहैया कराए. हालांकि, इसमें प्रवेश पत्र और अंक पत्र पर मौजूद निजी ब्योरा नहीं होगा.'
इसके निजी सूचना होने की सीबीएसई की दलील खारिज करते हुए आचार्युलु ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि कोई छात्र जब परीक्षा उत्तीर्ण कर लेता है और प्रमाणपत्र या डिग्री हासिल कर लेता है तो परीक्षा परिणाम के बारे में सूचना, उसकी निजी सूचना हो जाती है. उन्होंने कहा कि डिग्री या प्रमाणपत्र रजिस्टर में मौजूद किसी उम्मीदवार के ब्योरे का खुलासा प्रमाणपत्र धारक की निजता का अवांछित उल्लंघन नहीं कर सकता.
'पता, संपर्क नंबर और ई-मेल पता जैसी सूचनाएं होती है निजी'
सूचना आयुक्त ने कहा कि यदि प्रवेश पत्र में पता, संपर्क नंबर और ई-मेल पता, जैसी निजी सूचना है तो यह उम्मीदवार की निजी सूचना है और इसे देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सीपीआईओ ने कोई चीज आगे नहीं रखी या इस बारे में नहीं कहा कि अकादमिक योग्यता से जुड़ी सूचना के बारे में ऐसे खुलासे से इस मामले में स्मृति ईरानी की निजता का अवांछित हनन होगा. उन्होंने कहा कि यहां तक कि अंक पत्र में यदि ऐसी कोई सूचना है तो उससे इनकार किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, 'लेकिन प्रमाणपत्र, परीक्षा में हासिल डिवीजन, वर्ष और अंक के साथ पिता के नाम को निजी या तीसरे पक्ष की सूचना नहीं बताई जा सकती.' सूचना आयुक्त ने कहा कि 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए प्रमाणपत्र देते हुए ऐसे अकादमिक संस्थान अपने सांविधिक कर्तव्यों को निभा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जब एक जन प्रतिनिधि अपनी शैक्षणिक योग्यता घोषित करता है तब मतदाता को यह अधिकार होता है कि वह उस घोषणा की जांच करे. सूचना आयुक्त ने कहा कि स्मृति जुबिन ईरानी एक निर्वाचित सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री के संवैधानिक पद पर आसीन हैं. वह आरटीआई अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकारी हैं. जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत शैक्षणिक दर्जे की घोषणा हलफनामे में करते हुए उन्हें अवश्य ही अपनी सांविधिक जिम्मेदारी पूरी करनी होगी.
उन्होंने एक आदेश में कहा कि यदि यह साबित हो गया कि निर्वाचित जन प्रतिनिधि ने अपनी शिक्षा, वित्तीय स्थिति और अपराधों के बारे में हलफनामे में गलत सूचना दी है तो यह निर्वाचन को अमान्य करेगा, जैसा कि न्यायमूर्ति अनिल दवे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की सदस्यता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा था.
(इनपुट भाषा से भी)
यह आदेश सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलू ने दिया और कहा कि आदेश मिलने के 60 दिन के भीतर यह जानकारी उपलब्ध कराई जाए. आचार्युलू हाल में दिल्ली विश्वविद्यालय में 1978 बैच के बीए के सभी छात्रों की डिग्री सार्वजनिक करने का आदेश देने से विवादों में आए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1978 में ही डीयू से बीए किया था. इस आदेश के बाद आचार्युलू से एचआरडी मंत्रालय का कार्यभार ले लिया गया था.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यालु ने अपने आदेश में कहा, 'आयोग ने सीबीएसई को निर्देश दिया है कि वह उन संबद्ध रिकॉर्डों के निरीक्षण में मदद करे और अर्जीकर्ता ने जिन दस्तावेजों का चयन किया है उनकी प्रतियां इस आदेश के प्राप्त होने के 60 दिनों के अंदर मुफ्त में मुहैया कराए. हालांकि, इसमें प्रवेश पत्र और अंक पत्र पर मौजूद निजी ब्योरा नहीं होगा.'
इसके निजी सूचना होने की सीबीएसई की दलील खारिज करते हुए आचार्युलु ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि कोई छात्र जब परीक्षा उत्तीर्ण कर लेता है और प्रमाणपत्र या डिग्री हासिल कर लेता है तो परीक्षा परिणाम के बारे में सूचना, उसकी निजी सूचना हो जाती है. उन्होंने कहा कि डिग्री या प्रमाणपत्र रजिस्टर में मौजूद किसी उम्मीदवार के ब्योरे का खुलासा प्रमाणपत्र धारक की निजता का अवांछित उल्लंघन नहीं कर सकता.
'पता, संपर्क नंबर और ई-मेल पता जैसी सूचनाएं होती है निजी'
सूचना आयुक्त ने कहा कि यदि प्रवेश पत्र में पता, संपर्क नंबर और ई-मेल पता, जैसी निजी सूचना है तो यह उम्मीदवार की निजी सूचना है और इसे देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सीपीआईओ ने कोई चीज आगे नहीं रखी या इस बारे में नहीं कहा कि अकादमिक योग्यता से जुड़ी सूचना के बारे में ऐसे खुलासे से इस मामले में स्मृति ईरानी की निजता का अवांछित हनन होगा. उन्होंने कहा कि यहां तक कि अंक पत्र में यदि ऐसी कोई सूचना है तो उससे इनकार किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, 'लेकिन प्रमाणपत्र, परीक्षा में हासिल डिवीजन, वर्ष और अंक के साथ पिता के नाम को निजी या तीसरे पक्ष की सूचना नहीं बताई जा सकती.' सूचना आयुक्त ने कहा कि 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए प्रमाणपत्र देते हुए ऐसे अकादमिक संस्थान अपने सांविधिक कर्तव्यों को निभा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जब एक जन प्रतिनिधि अपनी शैक्षणिक योग्यता घोषित करता है तब मतदाता को यह अधिकार होता है कि वह उस घोषणा की जांच करे. सूचना आयुक्त ने कहा कि स्मृति जुबिन ईरानी एक निर्वाचित सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री के संवैधानिक पद पर आसीन हैं. वह आरटीआई अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकारी हैं. जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत शैक्षणिक दर्जे की घोषणा हलफनामे में करते हुए उन्हें अवश्य ही अपनी सांविधिक जिम्मेदारी पूरी करनी होगी.
उन्होंने एक आदेश में कहा कि यदि यह साबित हो गया कि निर्वाचित जन प्रतिनिधि ने अपनी शिक्षा, वित्तीय स्थिति और अपराधों के बारे में हलफनामे में गलत सूचना दी है तो यह निर्वाचन को अमान्य करेगा, जैसा कि न्यायमूर्ति अनिल दवे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की सदस्यता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा था.
(इनपुट भाषा से भी)
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